कानपुर :। उत्तर प्रदेश पुलिस का वाकई में कोई जवाब नही क्योंकि एक तरफ यूपी की खाकी कार्रक़ई का हवाला देती है तो दूसरी तरफ वही खाकी के कानून को भूल जाती है और तो और खाकी के रखवाले सारे निर्देशों को अपने जूते की नोक पर रखने के बराबर समझते हैं।
कुछ ऐसा ही किया है कानपुर के बजरिया थाने में तैनात दरोगा मोहम्मद खालिद जिसने बस खाकी की दम पर अपनी घिनौनी मानसिकता को अंजाम दे डाला जिसके चलते न केवल उत्तरप्रदेश पुलिस को बदनाम करने का कारनामा दिखा दिया बल्कि हाई कोर्ट के आदेशों को भी पैरों तले कुचलने की हिम्मत जुटा डाली। मामला था बीती सोमवार की रात का जब दरोगा मोहम्मद खालिद ने अपने थाना क्षेत्र की एक जिम में छापेमारी की जिसमे बाहर से ताला लगा था, लेकिन ताला किसने लगाया यह किसी को नही मालूम क्योंकि दरोगा के साथ मे जो शख्स वीडियो बना रहा था उसी की मुखबरी थी,लेकिन यह भूल गए कि लाइव रिकार्डिंग के वक्त जब वह जिम के गेट पर खड़े होकर लड़के को बुलाने के बाद ताले की चाभी मांग रहे थे उस वक्त लड़के ने चाभी तो दी नही, फिर दबिश देने वाले दरोगा या मुखबिर के पास चाभी कहाँ से आई।
खैर ताला खोल गया, जांच की गई फिर लड़कीं को बुलाया गया और उसका वीडियो बनाया गया और मुखबिर ने लड़के को मारा भी। क्या यह करना सही था? या फिर दरोगा मोहम्मद खालिद हाई कोर्ट की उस रूलिंग को भूल गए जिसमे निर्देश दिया गया था कि अगर बालिग लड़का और लड़कीं अपनी सहमति से एक साथ हैं या शादी करना चाहते हैं तो उनकी इस रजामंदी का विरोध जताने वाले दोषी माने जाएंगे। यहां पर इस दरोगा ने इसका उलंघन किया साथ ही लड़का और लड़कीं को सेक्स रैकेट का नाम देने का काम किया। वहीं अगर दबिश में महिला होने की सूचना थी तो महिला पुलिस भी नही थी लेकिन साथ मे मुखबिर था जिसके इशारे पर दरोगा जी चल रहे थे। दरोगा जी से गलती यहां पर हो गयी कि उनके इसी मुखबिर ने वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसकी चर्चा होने के बाद यूपी पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया उंगली उठने लगी, जिसको लेकर अब जांच का हवाला दिया जाना शुरू हो गया है।