आज सोमवार से राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन सत्र की शुरुआत हो रही है। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यपालों को संबोधित किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 1968 की शिक्षा से लेकर 2020 की शिक्षा नीति तक, एक स्वर से निरंतर यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी के 6% निवेश का लक्ष्य रखना चाहिए। 2020 की शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की अनुशंसा की गई है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इस बात पर खास जोर दिया गया है कि हम सबको भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित आधुनिक शिक्षा प्रणाली विकसित करनी है साथ ही यह भी प्रयास करना है कि सब्जी को उच्च गुणवत्ता से युक्त शिक्षा प्राप्त हो।
पीएम मोदी ने राज्यपालों को किया संबोधित
पीएम मोदी ने राज्यपाल को संबोधित करते हुए कहा कि मैं सबसे पहले राष्ट्रपति जी का आभार व्यक्त करता हूं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में यह आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण है। सैकड़ों वर्षो का अनुभव शिक्षा जगत का आज यहां इकट्ठा हुआ है।
देश की आकांक्षाओं को पूर्ण करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है। शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं। लेकिन यह भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव कम से कम होना चाहिए।
दबाव, अभाव और प्रभाव से मुक्त है यह शिक्षा नीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मैं सही मायने में बिना दबाव के बिना अभाव और बिना प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों को हमारी शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाया है।
नई शिक्षा नीति पढ़ने के बजाय सीखने पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर गहन सोच करने पर जोर देती है। इस शिक्षा नीति में प्रक्रिया से ज्यादा जुनून, व्यवहारिकता और प्रदर्शन पर बल दिया गया है।
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अब बैग के बोझ तले नहीं दबेंगे बच्चे
पुरानी शिक्षा नीति में बच्चों को कुछ सीखने के बजाय सिर्फ रट्टा मार के पढ़ना सिखाया जाता था और बच्चों को वह पढ़ाया जाता था जिनका उन्हें आगे चलकर कुछ उपयोग भी नहीं होगा। इसके साथ ही उनके बैग में इतनी ज्यादा कॉपी किताबें होती थी कि बच्चे अपने बैग को उठाकर चल भी ना पाए। लेकिन नई शिक्षा नीति में ऐसा नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने संबोधन में भी इस बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से यह बातें उठती रही है कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्जाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं। लेकिन इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से हल किया गया है।
ये शिक्षा नीति देश की शिक्षा नीति है। जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति भी देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति की देश की नीति होती है ना की सरकार की।