इस बार के पंचायत चुनाव में किसकी जीत हुयी या फिर किसकी हार यह तो बाद की बात है। लेकिन कानपुर के एक गांव में हुयी जीत इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गयी। हम बात कर रहे है विकास दुबे के गांव बिकरू की, जंहा पर पच्चीस साल बाद लोकतंत्र की जीत हुयी है।
बिकरू काण्ड के बाद देश-दुनिया में चर्चित हुए इस गांव की जनता ने पच्चीस साल बाद धमकी गोली नहीं बल्कि बैलेट से अपना प्रधान चुना है। बिकरू गांव की मधू कमल नाम की महिला ने अपने निकटतम प्रतिध्वंदी बिंद कुमार को 54 वोटो से हराकर अपनी जीत दर्ज की। आपको एक बार फिर से याद दिला दें कि बिकरू गांव का खुख्यात विकास दुबे की धमक ऐसी थी कि उसने लगातार पच्चीस साल तक निर्विरोध प्रधान बनाये।
गांव में था दबदबा
उसने पड़ोस के भीटी ग्राम पंचायत में भी अपना दबदबा रखा। बिकरू से दो बार उसके छोटे भाई और उसकी पत्नी दो बार आरक्षित सीट होने पर प्रधान बनाया। 2 जुलाई 2020 को बिकरू में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की ह्त्या के बाद पुलिस मुठभेड़ में विकास के ढेर होने के बाद उसका साम्रज्य बिखर गया।
बिकरू ग्राम पंचायत सीट अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित होने से यंहा गाँव के 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। दस प्रत्याशियों ने मधु और रेखा थी लेकिन गांव वालो ने शिक्षित मधू को अपना प्रधान चुना। बिकरू में कुल 1550 वोट में से 1136 वोट पड़े थे। इसमें मधू को 381 वोट मिले और उसने 54 वोटो से अपनी जीत दर्ज कि।
बिकरू से चुनाव जीती मधू अर्थशास्त्र से परास्नातक है और उनके पति संजय बैंक में कैशियर थे,जो बाद में नौकरी से इस्तीफा देकर गांव में आ गए थे। मधू का कहना है कि वह लोगो की निष्पक्ष भाव से मदद करेगी। गांव में पिछड़े पड़े अधूरे कार्यो को पूरा करेंगी।