सूबे में निजाम बदलने के बाद भी सरकारी अस्पतालों की हालत में सुधार नहीं हो पा रहा है। रायबरेली के जिला अस्पताल की हालत ऐसी है कि अगर रात को बिजली चली जाये तो अस्पताल प्रशासन के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि इमरजेन्सी सेवा को सुचारू रूप से संचालित करवा सके। रात के अंधेरे में मोबाईल के टार्च की रोशनी में मरीजों का इलाज किया जाता है।
जब जिला अस्पताल के इमरजेंसी सेवा की पड़ताल की तो पता चला कि मरीज अंधेरे में अपना इलाज कराने को मजबूर हैं। लोगों ने मोबाइल की टार्च जलाकर जिला अस्पताल में पेसेन्ट का इलाज करते हुए डॉक्टर नजर आए। वहीं जिला अस्पताल में जनरेटर मौजूद रहता है। लेकिन उसे विकल्प के तौर पर जेनरेटर नहीं चलाया गया और इस तरह की हालत यहां रोजाना देखने को मिलती है।
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने ट्रैन रोकी
अस्पताल में रात को बिजली जाते ही जेनरेटर नहीं चलाया जाता। अंधेरे में बैठकर मरीज किसी तरह से समय गुजारते हैं। जबकि अस्पताल में रखा जेनरेटर महज शो पीस बनकर रह गया है। गरीबों के लिये सरकार द्वारा मुहैया करायी जाने वाली सुविधा रायबरेली के इस सरकारी अस्पताल में फेल हो जाती है। जिम्मेदार अधिकारियों का कुछ बोलने से कतराते रहना दिखाता है की कोई भी इस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता।