04 अक्टूबर को Navmi है। भक्त नवरात्री में पूरे 9 दिन माँ दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना करते है और नवमी को कन्या पूजन करते है।
Navratri Kanya Pujan Vidhi
1. नवरात्री के अंतिम दिन 9 कन्याओं का पूजन माँ दुर्गा के 9 रूपों को मानकर किया जाता है। इस दिन भक्त अपनी क्षमता अनुसार कन्याओं को भोजन कराते है। जैसे- हलवा-पूड़ी, दही-जलेबी आदि।
2. नवमी पर 9 कन्याओं और एक बालक (लंगूर) को आमंत्रित करें और गृह प्रवेश के समय परिजनों के साथ पुष्प वर्षा करके उनका स्वागत करें और उनके चरणों को पानी से धोएं।
3. इन 9 कन्याओं और बालक को स्वच्छ जगह बिठाकर पैरों को दूध या पानी से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से धोएं और आशीर्वाद लें।
4. माँ दुर्गा के 9 रूपों का स्मरण करके कन्याओं के माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम का तिलक लगाएं।
5. इसके बाद सभी कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन कराकर दक्षिणा दें और कोई भूल-चूक हो गयी हो तो उसकी क्षमा मांग ले।
कन्याओं की आयु का महत्व
नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है। इस दौरान इनकी आयु का ध्यान रखा जाता है। मान्यता के अनुसार-
• 2 वर्ष की कन्या के पूजन से दुख और दरिद्रता दूर होती है।
• 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति का रूप मानी जाती है। इनके पूजन से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
• जबकि 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी माना गया है। इनकी पूजा से परिवार व सभी का कल्याण होता है।
• 5 वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है। रोहिणी यानि सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करने वाली माँ। इनके पूजन से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है।
• वहीँ 6 वर्ष की कन्या को माँ कालिका रूप माना जाता है। माँ के इस रूप की पूजा करने से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।
• 7 वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का कहा गया है। इस रूप की पूजा-अर्चना करने से भक्त को ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
• आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी माना गया है। शाम्भवी का पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है।
• 9 वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इनका पूजन करने से सभी प्रकार के शत्रुओं का नाश होता है तथा सभी रुके हुए काम पूरे हो जाते है।
• 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा गया है। माँ का ये रूप अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करने वाला है।