धनतेरस पर इस मंदिर में मिलती है चमत्कारी अठन्नी

भारत त्योहारों का देश है इस देश में सभी धर्मों के त्यौहार मनाये जाते हैं, लेकिन हिंदू धर्म में इतने त्यौहार है की लोगों को सभी त्योहारों को याद रखना मुश्किल हो जाता है। अगर हम बात करे देवी-देवताओं की संख्या के आधार पर तो भारत में हर दिन कोई न कोई पर्व जरूर मनाया जाता है, इसलिए देशवासियों को देश पर गर्व होता है। अगर हम बात करें पूरे साल में कार्तिक माह की तो इस माह में इतने त्यौहार होते हैं की किसी दूसरे देश में पूरे वर्ष में नहीं होते होंगे। इसी माह में हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली भी मनाया जाता है जो की पांच दिनों का पर्व माना जाता है।इन्ही पांच दिनों में एक दिन धनतेरस का भी होता है जो की भगवान धनवंतरि के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है।

भगवान धनवंतरि का जन्म समुद्र मंथन में हुआ था। इनका जन्म अन्य देवताओं को राक्षसों से बचाने के लिए हुआ था। जिससे देवताओं के जीवन में खुशी का कोई ठिकाना न रहा और देवताओं को इनके आने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति हुई तभी से इनके जन्मदिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता। धनतेरस के दिन पूजा करने से लोगों को धन की प्राप्ति होती है और इस दिन बर्तन,सिक्के आदि खरीदे जाते हैं। धनतेरस से जुडी ऐसी एक पारम्परिक कथा और भी है जो देश के सबसे ज्यादा विख्यात और काफी बड़ा धर्म स्थल से जुडी है,जिसको हम काशी या वाराणसी के नाम से जानते हैं। यहाँ पर माँ स्वर्ण अन्नपूर्णा देवी का मंदिर है जिसमे धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक देश-विदेश के लोग दर्शन करने आते हैं। धनतेरस के दिन इस मंदिर में दर्शन करने का एक चमत्कारी रहस्य है जो भी लोग इस दिन दर्शन करते हैं उनको प्रसाद के रूप में अठन्नी का सिक्का और धान का लावा दिया जाता है, जिसे तिजोरी में रखने से धन और अन्न की कमी कभी नहीं होती है,हमेशा धन और अन्न की वृद्धि होती है।

अठन्नी पाने के लिए होती है भारी भीड़

माँ अन्नपूर्णा देवी के भक्त धनतेरस के दिन से काशी पहुँच जाते है क्यूंकि मान्यता के अनुरूप इस मंदिर को धनतेरस से अन्नकूट तक यानी सिर्फ चार दिन भक्तों को दर्शन और प्रसाद वितरण के लिए खोला जाता है। इन दिनों इतनी भीड़ होती है की भक्तों को दर्शन और प्रसाद के रूप में अठन्नी पाने के लिए घंटों कतार में खड़े रहना पड़ता है। भीड़ का अंदाजा हम इस बात से लगा सकते है की भक्तो की कतारें हजारों मीटर दूर से लगती हैं।

लगती है लम्बी लाइन

माँ अन्नपूर्णा देवी मंदिर देश का मात्र एक ऐसा मंदिर है जहाँ पर धनतेरस में भक्तों को धन का खजाना मिलता है। यह खजाना लगातार चार दिनों तक बंटता है,इस खजाने में लोगों को अठन्नी का सिक्का और धान का लावा मिलता है। यह अठन्नी और धान का लावा बहुत ही चमत्कारी होता है इसको घर में पूजा स्थल या तिजोरी में रखने से कभी भी धन और अन्न की कमी नहीं होती है। इसलिए भक्त इसको पाने के लिए बहुत मेहनत और भक्ति करते हैं।

पौराणिक मान्यता

माँ अन्नपूर्णा देवी के इस संकट मोचन मंदिर में प्रसाद पाकर धनवान होना और अन्न की कमी न होने के पीछे भी एक कथा है। माँ अन्नपूर्णा देवी मंदिर के पहले के महंत और पुजारी बताते हैं की एक बार काशी में अकाल पड़ा था,अकाल से काशी के लोग परेशान होने लगे और भूंखे मरने लगे थे। लोगों को भूंखे मरते देख भगवान शिव भी बहुत दुखित हुए तब भगवान् शिव ने माँ अन्नपूर्णा देवी से लोगों के लिए अन्न की भिक्षा माँगी। माँ अन्नपूर्णा ने शिव को भिक्षा के रूप में अन्न दिया जो लोगों को बांटा गया और माँ अन्नपूर्णा ने यह वरदान दिया की अब यहाँ के लोग भूंखे नहीं रहेंगे और न ही धन की कमी होगी। तभी से इस मंदिर में प्रसाद के रूप में अठन्नी का सिक्का और धान का लावा दिया जाता है।

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