किसानों और सरकार के बीच अब तक आठ बार की वार्ता हो चुकी है। सभी बैठकें बेनतीजा रहीं। किसानों का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होता उनका प्रोटेस्टजारी रहेगा । उधर सरकार किसी भी क़ीमत पर कानून वापस लेना नहीं चाहती। सरकार और किसानो के बीच का यह गतिरोध जल्द ख़त्म होना नहीं दिख रहा है। इस गतिरोध के अभी और लंबे खिंचने की उम्मीद है।
वहीं विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार कि मंशा किसानों को थकाने की ताकि किसान थककर प्रदर्शन करना बंद कर दें और अपने अपने घर वापस लौट जायें। विपक्ष ने सरकार पर इल्ज़ाम लगाया है कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों के प्रति असंवेदनशील तथा क्रूर बनी हुई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में किसानों को कहीं भी प्रदर्शन करने की आज़ादी होती है, राजधानी में भी, लेकिन किसानों को सरकार ने जबरजस्ती बॉर्डर पर रोक कर रखा हुआ है। ऐसा करके सरकार किसानों के संवैधानिक अधिकारों का दमन कर रही है।
कांग्रेस की जनरल सेक्रेटरी प्रियंका गाँधी वाड्रा ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि यह सरकार क्रूरता और निष्ठुरता की सारी हदें लाँघ चुकी है। किसान तब तक अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक कि सरकार अपने बनाये कानूनों को वापस नहीं ले लेती।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार किसानों को तारीख़ पर तारीख़ दे रही है लेकिन उनके हक़ में फ़ैसला नहीं कर रही है। इससे साफ़ हो जाता है कि सरकार की नीयत किसानों के प्रति ठीक नहीं है।