आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रवासियों की समस्या को लेकर सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट ने सरकार से कई सवाल पूछे और सरकार की तरफ से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिए। आज अदालत में प्रवासियों की घर वापसी के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे काम और टिकट के पैसे, खाने-पीने आदि से जुड़े हुए कई सवाल उठे।
Supreme Court hearing a matter relating to migrant labourers: SC says, we are concerned with the difficulties of migrants trying to get to their native place. There are several lapses that we've noticed in the process of registration,transportation&provision of food&water to them pic.twitter.com/1wKI0IcqeQ
— ANI (@ANI) May 28, 2020
सरकार ने कहा कि 1 मई से 27 मई तक रेलवे ने 3700 ट्रेनें चलाई हैं और इनसे अब तक 91 लाख मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया जा चुका है। रेलवे ने 84 लाख मजदूरों को मुफ्त में भोजन उपलब्ध कराया है और ट्रेनों को एक राज्य से दूसरे राज्य दोनों राज्यों की सहमति होने के बाद भी भेजा जा रहा है। सबसे ज्यादा ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार गई हैं। क्योंकि 80 % मजदूर वहीं के थे। सब जनों को तब तक चलाया जाएगा जब तक तुम सभी गरीब मजदूर अपने घर ना पहुंच जाएं।
टिकटों को लेकर कोर्ट ने पूछा सवाल
गरीब मजदूरों से टिकट का पैसा लिए जाने को लेकर पिछले कई दिनों से सवाल उठ रहे थे और आज अदालत ने भी यह सवाल पूछा। कोर्ट ने कहा टिकटों का पैसा कौन दे रहा है और इस बात को कैसे पुख्ता किया जाए कि मजदूरों से पैसा नहीं लिया जा रहा और उन्हें कोई तकलीफ नहीं हो रही है।जिस पर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ जगहों पर राज्य पैसा दे रहे हैं। जबकि कुछ राज्यों को रेलवे की ओर से रीइंबर्स किया जा रहा है। हम इस पर पूरा जवाब देंगे इसके लिए हमें थोड़ा समय चाहिए।
पैदल यात्रा कर रहे गरीब प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार की ओर से कहा गया की “जो भी पैदल यात्रा कर रहे हैं, उन्हें सरकारी बसों के द्वारा नजदीकी रेलवे स्टेशन तक पहुंचाया जा रहा है। जिससे वे ट्रेन से अपने घर वापस जा सके। हमें रिपोर्ट पेश करने दे उसमें पूरा विवरण है।” मालूम हो लॉक डाउन के दौरान लाखों प्रवासी पैदल ही यात्रा तय कर रहे थे और इस दौरान कई प्रवासी मजदूरों की रेल और सड़क हादसे में मृत्यु भी हुई।