अयोध्या:जाने सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों के बारे में जिन्होंने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

Ayodhya
image source- awaz-e-up

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने सबसे बड़े अयोध्या मामले पर आज अपना फैसला सुना दिया है। जिसमे विवादित जमीन को राम जन्म का स्थान कोर्ट ने मानते हुए अयोध्या में राम मंदिर बनाने का फैसला दिया है। साथ ही मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने किया है। ये फैसला देने के साथ ही आज का दिन और इन जजों का नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया है। तो आईये जानते हैं इन जजों के बारे मे जिन्होंने ये इतिहासिक फैसला सुनाया है।

CJI रंजन गोगोई

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई का जन्म 18 नवम्बर 1954 को असम में हुआ था रंजन गोगोई के पिता का नाम केशब चंद्र गोगोई है। जो 1982 में असम के मुख्यमंत्री रह चुके है। रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसलिंग को ज्वाइन किया था। डीयू से ग्रेजुएशन और लॉ की डिग्री लेने के बाद 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट से वकालत शुरू की और आगे जा कर उसी कोर्ट में जज बने। इसके बाद 2011 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 2012 में रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज बने फिर 6 साल बाद 3 अक्टूबर 2018 को भारत के 46 वें मुख्य न्यायधीश बने। रंजन गोगोई पूर्वोत्तर भारत के पहले व्यक्ति है जो भारत के मुख्य न्यायधीश बने।

न्यायधीश शरद अरविंद बोबड़े

शरद अरविंद बोबड़े के पिता का नाम अरविन्द बोबड़े है जो की महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल रह चुके है। ये नागपुर के रहने वाले है। शरद अरविंद बोबड़े ने नागपुर यूनिवर्सिटी से बीए और लॉ की डिग्री प्राप्त की इसके बाद बार काउंसलिंग ऑफ महाराष्ट्र को 1978 में ज्वाइन किया। इन्होने लॉ की प्रैक्टिस बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में की, फिर 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट के अडिशनल जज बने। शरद अरविंद बोबड़े मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्त हुए व 2013 में सर्वोच्चय न्याययालय के जज बने। बता दें CJI रंजन गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर हो रहे है। इनके बाद CJI शरद अरविंद बोबड़े बनेंगे।

न्यायधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़

धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के पिता का नाम यशवंत चंद्रचूड़ है। ये मुम्बई के रहने वाले है। न्यायधीश धनंजय के पिता सबसे लम्बे समय तक चीफ जस्टिस रह चुके है। न्यायधीश धनंजय ने डीयू से लॉ व हार्वर्ड लॉ स्कूल से वकालत की पढ़ाई की। बॉम्बे हाई कोर्ट में सीनियर एडवोकेट व सोलिसिटर जनरल ऑफ़ इंडिया भी रहे। इसके बाद 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट के जज व 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने।

न्यायधीश अशोक भूषण

अशोक भूषण जौनपुर जिले के रहने वाले है। इन्होने 1979 में उत्तर प्रदेश बार काउंसलिंग को ज्वाइन किया। इलहाबाद हाई कोर्ट से इन्होने वकालत की प्रैक्टिस की व कई पदों पर काम भी किया। इसके बाद 2001 में इलाहबाद हाई कोर्ट के जज बने। कुछ समय बाद केरल हाई कोर्ट के जज बने व 2015 में चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। इसके एक साल बाद 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने।

न्यायधीश अब्दुल नजीर

अब्दुल नजीर कर्नाटक के रहने वाले है। इन्होने वकालत 1983 में शुरू की व कर्नाटक हाई कोर्ट से प्रैक्टिस की। इसके बाद न्यायधीश अब्दुल नजीर अडिशनल जज व फिर स्थायी जज बने। ये 2017 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने। न्यायधीश अब्दुल नजीर उस बेंच का हिस्सा रहे है, जिसने तीन तलाक व राइट टू प्राइवसी जैसे बड़े मामले पर सुनवाई कर फैसले दिए है।

About Author