लखीमपुर खीरी :। इंडोनेपाल से सटा 884 वर्ग किलोमीटर के घने जंगल में बसा एकलौता दुधवा नेशनल पार्क सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। दुधवा के घने जंगलों में दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों का दीदार भी देशी-विदेशी सैलानियों को हो जाते है। मानसून सत्र के चलते 15 जून को दुधवा पर्यटको के लिए बंद हो जाया करता है। वहीं दुधवा के घने जंगल की बात करे तो दुधवा में सैलानियों के आने का राज़ दुधवा के जंगलो में विचरण करते ‘बंगाल टाइगर’ है जिसको देखने के लिये देश विदेश से सैलानी दुधवा पहुंचते हैं।
वहीं बंगाल टाईगर के अलावा यहां लैपर्ड,राइनो,हाथी,भालू,हिरन,बारहसिंघा आदि और अनेकों प्रजाति के पंछी पाए जाते है जो दुधवा जंगल की शान कहलाते है।आप को यह भी बता दे कि इन दिनों दुधवा टाईगर रिजर्व में कोरोना के चलते पार्क के बंद होने और इसानों की दखल न होने से अब बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ता दिखाई दे रहा है। इन दिनों दुधवा के घने जंगलों में बाघ विचरण करते आसानी से दिखाई दे रहे है।
वहीं दुधवा पार्क प्रशासन के मुताबिक यहां सबसे ज्यादा बंगाल टाइगर यानी की बाघ देखे जा रहें है,बता दें कि बाघों को बचाने के लिये भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही संस्था राष्ट्रीय बाघ संरक्षण स्वाधीकरण जो प्रत्येक चार वर्षो में बाघों के संख्या के आकलन के लिये भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से करवाती है। देखा जाये तो जहां सन् 2014 में दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या करीब 67 के आस-पास थी तो वहीं अब सन्र 2018 की बात करें तो अब टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 82 के करीब पहुंच चुकी है।
वही यदि हम पूरा टाइगर रिजर्व सहित अन्य आस-पास जंगल के इलाके की बात करें तो वहां भी 25 के करीब बाघों की संख्या जिससे अब दुधवा में बाघों की संख्या कुल मिलाकर 107 की संख्या हो चुकी हैं। जिससे अब पूरे पार्क प्रशासन सहित वन्यजीव प्रमियों में खुशी का माहौल देखा जा रहा है। कोरोना के शुरुआती दौर से ही यूपी का एकलौता दुधवा नेशनल पार्क बंद चल रहा है, इसकी वजह से इस समय इंसानी दखल नहीं है ऐसे में अब बाघों को उचित आवास और माहौल मिला। यही कारण है कि अब दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर सेंचुरी के अलावा भी अन्य जगहों पर बाघ दिखाई दे रहे हैं।