व्यवसायिक जीवन और सरकारी कर्मचारी जीवन में जाने फर्क

आज हमारे देश में युवा ज्यादा व्यवसायिक जीवन जीना पसंद करता है, क्यूंकि आज कोई किसी के नीचे काम करना नहीं पसंद करता है। सब अपनी आजाद जिंदगी जीना पसंद करते है और इसका दूसरा कारण यह भी है की आज हमारे देश में बेरोजगारी का दौर तेजी से चल रहा है। व्यवसायिक जीवन में लोग पूरी तरह खुद पर निर्भर होते है। वो अपना काम करने के लिए अपना समय खुद निश्चित करते हैं, अपने नियम कानून वो खुद बनाते है। उनके ऊपर किसी का भी दबाव नहीं रहता है। वे जब चाहते हैं जैसा चाहतें हैं वैसा बदलाव कर सकते हैं। लेकिन इस जीवन में व्यस्तता बहुत अधिक होती है और तनाव भी बहुत होता है। व्यवसायिक जीवन का सबसे बड़ा लाभ यह होता है की अगर व्यवसाय अच्छे से चलता है तो जो व्यक्ति व्यवसाय करता है। उसकी आने वाली पीढ़ी को इसका बहुत बड़ा लाभ होता है। आने वाली पीढ़ी को रोजगार बना बनाया मिल व्यवसाय जाता है, उसे बेरोजगारी का सामना नहीं करना पड़ता है। व्यवसायिक जीवन में लोग ज्यादा जल्दी कामयाबी हासिल कर लेते है क्यूंकि अगर उनका व्यवसाय अच्छे से चलने लगा तो उनके पास पैसे जल्दी इकठ्ठा हो जाते हैं।

आज हमारे देश में कुछ ऐसे भी व्यवसायिक व्यक्ति हैं जैसे मुकेश अम्बानी, दिलीप शंघवी, हिंदुजा फैमिली, अजीम प्रेमजी, लक्ष्मी निवास मित्तल, गोदरेज फैमिली आदि ऐसे उद्योगपति हैं जिनके ऊपर हमारा देश निर्भर है, उन्ही की वजह से देश चलता है। हमारे देश की सरकार बड़े-बड़े उद्योगपतियों से कर्ज भी लेती है और उन्ही से देश में इन्वेस्टमेंट करने के लिए भी कहती है। जिससे हमारे देश का विकास होता है, और देश के बेरोजगार लोगो को अपना जीवन-यापन करने के लिए रोजगार मिलता है। इसमें लोगों का अपना एक अलग ही रुतबा होता है। व्यवसाय में लोग खुद के साथ-साथ दूसरों के भी परिवार चलाने का जिम्मा उठा लेते हैं। जैसे की बेरोजगार लोगों को रोजगार देकर, यह बेरोजगारियों के लिए एक वरदान होता है। इस तरह व्यवसायी या उद्धोगपति बेरोजगारों के लिए भगवान् के समान हो जाते है क्यूंकि उन्ही की वजह से लोगों को रोजगार मिलता है।

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आज देश के जितने भी बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स होते हैं सरकार देश के बड़े उद्द्योगपतियों से ही करवाती है। कहते हैं संसार में कोई भी चीज हो उसके दो पहलू होते हैं अगर किसी में अच्छाई है, तो उसमे बुराई भी जरूर होगी, उसी तरह व्ययसाय में भी दो पहलू जहाँ एक तरफ व्ययसाय में व्ययसायी जल्दी कामयाब होता है, जल्दी पैसे वाला या अमीर हो जाता है वहीँ दूसरी तरफ व्ययसाय में जोखिम ज्यादा होता है, और उसका भविष्य अनिश्चिताओं से भरा होता है। व्यवसायी  को अपने व्ययसाय के भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं मालूम होता है की उसका व्यवसाय कब तक चलेगा या नहीं चलेगा, लेकिन इसके बावजूद भी वह जोखिम उठाकर, हानि की चिंता न करके व्यवसाय  में पैसा लगाता है और जब उसका व्यवसाय नहीं चल पता है या बंद हो जाता है, तो उसको भारी हानि का सामना करना पड़ता, उसके परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर व्यवसाय अच्छे से चल गया तो उसका जीवन सुखमय हो जाता है वह अपने परिवार को महंगी और पैसों भरा जीवन देता है। अपने बच्चो को बड़े-बड़े स्कूलों में, विदेशों में पढ़ाते हैं। इस तरह व्यवसायिक जीवन के सुखमय और दुखमय दो पहलू हैं।

सरकारी कर्मचारी जीवन

सरकारी कर्मचारी जीवन भी बहुत ही महत्वपूर्ण जीवन है ऐसे जीवन में किसी प्रकार का कोई बहुत तनाव नहीं रहता है लोग अपने जीवन से बहुत खुश रहते हैं। इसमें लोगों की व्यस्तता बहुत कम रहती है क्यूंकि इसमें काम करने का समय सरकार द्वारा निश्चित कर दिया जाता है। कर्मचारी निश्चित समय के अनुसार आते है काम करते है, और निश्चित समय पर चले जाते हैं। इस तरह काम करने के बाद वो पूरी तरह तनावमुक्त हो जाते हैं। इनके जीवन में कुछ खाश बदलाव नहीं आते है और इनका जीवन जोखिम भरा नहीं होता है। सरकारी कर्मचारी एक आम जीवन व्यतीत करते हैं,हाँ कुछ कर्मचारी ऐसे भी होते है जो अपनी जिंदगी महंगी और थोड़ा तनाव में जीते हैं जैसे देश में आईएएस और पीसीएस स्तर के कर्मचारी,लेकिन बाकी कर्मचारी आम जीवन व्यतीत करते है।

ऐसे लोग अपने परिवार के साथ ज्यादा महंगी जिंदगी नहीं जी पाते हैं ये लोग अपने बच्चों को मध्यवर्गीय स्कूलों में ही पढ़ा पाते हैं।जैसे की मैंने ऊपर कहा की संसार में सभी चीजों के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार यहाँ भी दो पहलू है, पहला जहाँ सरकारी कर्मचारी एक तरफ सुखमय और तनावमुक्त जीवन यापन करता है वहीँ दुसरी तरफ सरकारी कर्मचारियों की आने वाली पीढ़ी का कोई रोजगार निश्चित नहीं होता है और यह भी निश्चित नहीं होता है की आने वाली पीढ़ी को रोजगार मिलेगा भी या वे बेरोजगार ही रहेंगे। आने वाली पीढ़ी को उनके पूर्वज सिर्फ थोड़े बहुत पैसे ही दे पाते हैं,उनको रोजगार की निश्चितता नहीं दे पाते हैं जिसके कारण आने वाली पीढ़ी को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है।इस तरह सरकारी कर्मचारी जीवन के सुखमय और दुखमय दो पहलू हैं।

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