कानपुर। यूपी के कानपुर जिले में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण से हालात दिनों-दिन बदत्तर होते जा रहे है। जिसको लेकर जिला प्रशासन ने निजी नर्सिंग होमो में कोरोना मरीजों के इलाज की अनुमति दे रखी थी जिसके बाद से अस्पतालों में लापरवाही और ओवर चार्जिंग की खबरे मीडिया में सुर्खिया बनने लगी। तब जाकर जिला प्रशासन की नींद टूटी और नर्सिंग होमो की जांच का सिलसिला शुरू हुआ। लेकिन नर्सिंग होम का निरिक्षण केवल खानापूर्ति तक ही सीमित रहा। जिसका नतीजा यह निकला की निजी नर्सिंग होम की मनमानी जारी है।
प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के साथ अन्याय
कानपुर महानगर में जब कोविड मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा और सरकारी अस्पतालों फुल हो गए। तब तत्कालीन जिलाधिकारी ने गाइड लाइन के साथ प्राइवेट नर्सिंग होम्स को कोविड का इलाज करने की छूट दे दी। कोविड मरीजों के इलाज का आदेश नर्सिंग होम्स को मिला तो जैसे उनकी लाटरी निकल पड़ी।ओवर चार्ज और इलाज में लापरवाही घटिया खाने की शिकायत जब मीडिया में सुर्खिया बननी शुरू हुयी तब वर्तमान के जिलाधिकारी अलोक तिवारी ने सभी कोविड अस्पतालों निरिक्षण करना शुरू किया।जिसमे रीजेंसी। डिवाइन।एसआईएस जैसे नामी गिरामी नर्सिंग होम शामिल रहे।जांच के दौरान जिलाधिकारी को कई नर्सिंग होम में खामिया मिली। लेकिन कार्यवाही करने के बजाय केवल सिस्टम्स को सही करने का आदेश दिया गया।कार्यवाही ना होने की वजह से नर्सिंग होम्स की मनमानी जारी है और मरीजों के तीमारदार परेशान हाल होकर मीडिया से शिकायत कर रहे है।
जिलाधिकारी कानपुर नगर का बयान
निजी नर्सिंग होम्स रीजेंसी और डिवाइन की मनमानी को लेकर जब हमने कानपुर जिलाधिकारी अलोक तिवारी से बात की गयी तो उनका जवाब था कि डिवाइन अस्पताल के निरिक्षण के दौरान जो खामिया मिली थी उसके लिए सीएमओ को कहा गया था। सीएमओ की जांच में जो खामिया पायी गयी थी उसको सही करने के लिए कहा गया है। जब उनसे सवाल किया गया कि डिवाइन नर्सिंग होम में वेंटिलेटर का अलग अलग चार्ज लिया जा रहा है। जिसपर उनका जवाब था की अलग-अलग मरीज का अलग-अलग बिल आना आश्यर्जनक नहीं है।जो रेट फिक्स किये गए है अगर उससे ज्यादा लिया जा रहा है तो कार्यवाही होगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी का बयान
जिस दिन डिवाइन नर्सिंग होम का निरिक्षण जिलाधिकारी अलोक तिवारी व मुख्य चिकित्षा अधिकारी अनिल मिश्रा ने निरिक्षण किया था। तब तमाम खामिया मिली थी। एक तीमारदार ने ज्यादा पैसा लेने का आरोप भी लगाया था।जिसपर जिलाधिकारी ने सीएमओ को जांच सौपी थी।डिवाइन नर्सिगं होम में क्या खामिया मिली थी और सीएमओ ने क्या कार्यवही करने की बात कही थी ज़रा सुनिए।
मरीज ने सुनाई अपनी पीड़ा
अब बात करते है कानपुर के सबसे बड़े नर्सिंग होम रीजेंसी का जिसपर इस कोविड काल के दौरान तमाम आरोप लगे। जिसपर जिलाधिकारी ने केवल निरिक्षण किया कार्यवाही नहीं। इसी अस्पताल में भर्ती एक मरीज के तीमारदार ने प्रेस क्लब में वार्ता कर अपने दर्द को बया किया। वार्ता करने वाली अभिलाषा ने बताया कि मेरे ससुर का कोविड टेस्ट हुआ था।जिसके बाद उनको गोविन्द नगर में बने रीजेंसी में भर्ती कराया था। वंहा पर उनको मिर्ची वाला खाना दिया गया। जिसकी वजह से उनको अल्सर हो गया। यहां तक की लगा हुआ आक्सीजन भी हटा दिया गया। परिजनों को बताये बगैर वेंटिलेटर पर डाल दिया गया। 11 लाख पच्चीस हजार रुपया खर्च करने के बाद भी मेरे ससुर की मौत हो गयी। अब सुनिए पीड़ित की ज़ुबानी की किस तरह से कोविड के नाम पर उगाही की जा रही है।
रिपोर्ट दिवाकर श्रीवास्तव