विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस आज, जाने क्यों मनाया जाता है

● विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर को मनाया जाता है
● मानसिक विकृतियाँ को पहचानने के उद्देश्य से हर साल मनाया जाता है
● मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन और आत्महत्या की रोकथाम के लिए इस दिवस का आयोजन किया गया।

हर साल पूरे विश्व में ,विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर को मनाया जाता है जिसे हिंदी में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस भी कहा जाता है, और हर वर्ष मेंटल हेल्थ के मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2019 का विषय (थीम) “मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन और आत्महत्या की रोकथाम”(मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन और आत्महत्या रोकथाम) है।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका एक दूसरा बड़ा कारण ये भी होता है कि विश्व में हर तबके के लोगों को इस बीमारी के बारे में भी पता चले और वो उस लिहाज से उसके बचाव के लिए पहले से तैयार रहें। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस साल 2018 “विश्व के बदलते परिदृश में वयस्क और मानसिक स्वास्थ्य” पर केंद्रित था।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत

बता दें की अगर अन्तर्राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस के इतिहास और इसकी शुरुआत की बात करें तो इसे सन् 1992 में पहली बार उप महासचिव रिचर्ड हंटर की पहल पर 10 अक्टूबर 1992 को मनाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ द्वारा तेजी से बढ़ती मानसिक बीमारियों को देखते हुए लोगों को मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता फैलाने और अपने अंदर के व्यक्तित्व विकार और मानसिक विकृतियाँ को पहचानने के उद्देश्य से हर साल इसे 10 अक्टूबर को पूरे विश्वभर में मनाया जाता है। वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर पूरी दुनिया के सरकारी और सामाजिक संगठनों द्वारा तनाव मुक्ति के विषय पर इस कार्यक्रम को आयोजित किया जाता हैं।

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क्यों मनाया जाता है विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस डब्ल्यूएचओ द्वारा विश्व भर में स्वास्थ्य और नागरिक समाज संगठनों के मंत्रालयों के साथ अपने मजबूत संबंधों की मदद से मेंटल हेल्थ के मुद्दो पर जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से समर्थित है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाए जाने का महत्वपूर्ण विषय मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित रोगों के बारे में लोगों को जागरूक करना है। और उन्हें मानसिक रोगों से छुटकारा दिलाना है। देश में हर 41वें सेकेंड में सुसाइड से एक मौत हो रही है। 18.5 फीसद पुरुष जबकि 14.5 फीसद महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं। दोनों मिलाकर आंकड़ा 16.3 फीसद है। जिला अस्पताल के डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि 2020 तक इस आंकड़े में दस फीसद तक कमी लाना विभाग का मकसद है। इसी को पूरा करने के लिए इस बार 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस भी सुसाइड के मामलों में रोक लगाने की थीम पर मनाया जा रहा है।

वयस्कों में मानसिक समस्याएं

सभी मानसिक रोगों में से आधे 14 साल की उम्र तक शुरू होते है लेकिन अधिकांश मामले रोग की जानकारी और उपचार के बिना रह जाते है। किशोरों में रोग के संदर्भ में अवसाद(डिप्रेशन) तीसरा प्रमुख कारण है। आत्महत्या 15 से 29 साल के लोगों के बीच मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। किशोरों में अल्कोहल और मादक पदार्थों का हानिकारक उपयोग कई देशों में एक प्रमुख समस्या है तथा यह असुरक्षित यौन संबंध या खतरनाक ड्राइविंग जैसा जोखिमपूर्ण व्यवहार उत्पन्न करता है। आहार विकार भी चिंता का विषय हैं।

मानसिक रोगो की रोकथाम

भारत में लगभग 356 मिलियन लोग दस से चौबीस वर्ष की आयु के बीच हैं। भारत लगभग तीस प्रतिशत युवा जनसंख्या के साथ युवाओं का देश है। किशोरों और वयस्कों के बीच मानसिक परेशानी की रोकथाम और प्रबंधन की शुरूआत जागरूकता बढ़ाकर और मानसिक रोग के प्रारंभिक चेतावनी संकेतों और लक्षणों को समझकर कम उम्र से की जानी चाहिए।

बच्चों के माता-पिता और शिक्षक घर एवं स्कूल में रोजमर्रा की चुनौतियों का मुकाबला करने में सहयोग के लिए बच्चों और किशोरों के जीवन कौशल निर्माण करने में मदद कर सकते हैं जैसे कि सामाजिक कौशल, समस्या सुलझाने का कौशल और आत्मविश्वास बढ़ाना। संसाधन और सेवाएं उत्पन्न और विकसित करने पर केंद्रित होना चाहिए, जोकि व्यस्कों को सशक्त और जुड़ा महसूस होने में सहयोग करता हैं। मनोवैज्ञानिक सहयोग स्कूलों और अन्य सामुदायिक स्तरों पर प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रदान किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य विकारों का पता लगा सकते हैं तथा उन्हें प्रतिबंधित कर सकते हैं।

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