नेपाल में भारी बारिश ने मचाई तबाही

1. नेपाल की पहाड़ियों में भारी बारिश के कारण नारायणी नदी एक बार फिर अपना रूद्र रूप दिखाने को है तैयार।
2. बाढ़ और सिचाई विभाग के अधिकारी नहीं दे रहे हैं पीड़ितों की तरफ ध्यान।
3. बाढ़ और सिचाई विभाग के अधिकारियो की बड़ी लापरवाही से परेशानी झेल रहे है कुशीनगर के लोग।

नेपाल की पहाड़ियों में लगातार हो रही भारी बारिश की वजह से नारायणी नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है, बाढ़ का खौफ जनपद कुशीनगर पर भारी पड़ रहा है और इतना भारी पड़ रहा है कि लोग जैसे तैसे अपनी जिंदगी और रोज मर्रा की चीजों को बचाने में लगे हुए है यूपी-बिहार सीमा से आने वाली और कुशीनगर जनपद से होकर बहने वाली नारायणी नदी एक बार फिर अपने रूद्र रूप से लोगो के अंदर खौफ पैदा कर रही है जिस खौफ से डर के ग्रामीण अपने आशियानों को खुद उजाड़ रहे है उनको इस बात का डर है की कही 2017 की तरह इस बार भी हमारे आशियाने नारायणी नदी में न समा जाएँ,इस डर से ग्रामीण खुद अपने आशियाने उजाड़ रहे हैं।

पिछले वर्ष 2017 के प्रलय का डर वहां के लोग अभी भूले नहीं की नारायणी नदी ने फिर से अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है,जिसकी वजह से तमकुही,खड्ढा तहसील के हजारो गांव तबाही के कगार पर हैं जिसे देखकर रूह काँप उठती है। नेपाल में लगातार बारिश के कारण नारायणी नदी उफान पर है जिस वजह से वहाँ के लोग जल प्रलय के डर के साये में जी रहे हैं क्योंकि आमवा खास के पास बंधे का कटान शुरू हो गया है जिससे लोग सहमे में है। लोग अब अपने घरेलू सामानों को लेकर दूसरी जगह शरण लेने की फ़िराक में हैं। सिचाई विभाग के अधिकारी बांध को बचाने का प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन उनका प्रयास नाकाम साबित हो रहा है। ग्रामीणों का आरोप है की समय से पहले कटान को रोकने का प्रयास किया गया होता तो  आज यह भयावी स्थिति न आती। सिचाई विभाग बंधे के कटान  रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है लेकिन इसके बावजूद भी नदी बंधे को काट रही है।

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तमकुहीराज तहसील के आधे हिस्से से बहने वाली नारायणी नदी हर साल तबाही मचाती है। नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद इस क्षेत्र में बाढ़ आ जाती है और जब पानी कम होता है तो नदी की धाराएं बैक रोलिंग करती है जिसकी वजह से आसपास के क्षेत्र की सैकड़ों एकड़ की खेती बर्बाद जाती है जिसकी वजह से हर साल काफी धन की हानि सहनी पड़ती है। कटान रोकने की जिम्मेदारी लेने वाला सिचाई और बाढ़ खंड विभाग पूरे साल सोता रहता है और जब नदी कटान शुरू कर देती है तब जगते हैं इसके बाद कटान को रोकने में रूपया बहाने का खेल शुरू हो जाता है।

पहले बाढ़ की विभीषिका झेल चुके लोग अब नदी के कटान से परेशान हैं। इस बंधे के कट जाने से आमवा खास पिपरा घाट,अहिरौली घाट,बाघ खास,के आलावा कई अन्य गांव तबाह हो जायेंगे। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद यहाँ के लोगों में यह विश्वास हो गया था की उनके अच्छे दिन आ जायेंगे। उनको आने जाने के लिए रास्ते,पीने के लिए पानी,रहने के लिए जगह और छत तथा जीवन यापन के लिए रोजगार मिलेगा लेकिन इनके सपनो पर पानी फिर गया।

बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता भरथ राम का कहना है की इनकी जिम्मेदारी बाढ़ तथा कटान को बचाना होती  है न की लोगों की सहायता करना। यहाँ पर बड़ा सवाल यह खड़ा होता है की नारायणी नदी में विलीन हो रहे घरों के सदस्यों के सामने रहने,खाने,पीने और पहनने से लेकर सोने तक की समस्या एक बहुत बड़ी समस्या है लेकिन जिला प्रशासन इन समस्याओं को दर निकार कर बिल्कुल निरंकुश बना हुआ है।

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