वैज्ञानिकों ने बताया, विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सही से क्यों नहीं उतर पाया

7 सितंबर को जब विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरने वाला था तो इसरो का संपर्क उससे टूट गया। जिसकी वजह से यह मिशन पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाया पर वैज्ञानिकों ने बताया कि ये मिशन 95% सफल है। क्योंकि हमारा ऑर्बिटर चांद के चक्कर लगा रहा है। और यह कार्य वह आने वाले 7 वर्षों तक कर सकता है।

पहला कारण 

विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतरते समय विक्रम के पैर चांद की सतह की ओर होने थे और उसकी गति 2 मीटर प्रति सेकंड होनी चाहिए थी। विक्रम ने 5 बड़े थस्टर्स लगे थे। इनका काम किसी वस्तु को आगे पीछे करना होता है। तथा 8 छोटे थेस्टर्स जो दिशा निर्धारित करते। वैज्ञानिकों का कहना है कि हो सकता है इनमें ईंधन सही समय पर ना पहुंचा हूं जिसकी वजह से यह सही से काम ना कर पाए हो और विक्रम की गति परिवर्तित हो गई हो।

इसरो ने जारी की chandrayaan-2 से आयी तस्वीरें

दूसरा कारण 

दूसरा बड़ा कारण जो वैज्ञानिकों ने बताया कि विक्रम लैंडर में एक बड़ा हिस्सा ईंधन टैंक का था। जो हो सकता है आधा भरा होने की वजह से टैंक के अंदर इधर उधर हो रहा हो जिसकी वजह से विक्रम की गति बदली हो और वह चांद की सतह पर लैंड नहीं कर पाया।

तीसरा कारण 

विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर लैंड करते समय पांचवा इंजन काम करना चाहिए था। और बाकी जो लैंडर के चारों तरफ लगे थे उन्हें बंद होना चाहिए था। हो सकता है विक्रम का बीच का इंजन ऑन ना हुआ हो और बाकी के दो या चारों इंजन चालू हो जिसकी वजह से वह चांद की सतह पर टेढ़ा लैंड होकर गिर गया।

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