लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीनी सेना के बीच फिर से भिड़ंत, सैनिकों के बीच हुई धक्का-मु्क्की

पाकिस्तान से चल रहे तनाव के बीच बुधवार को लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच भिड़ंत हो गई। एएनआइ ने ट्वीट करते हुए बताया कि पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे के पास दोनों सेनाओं का आमना-सामना हुआ। इस झील का एक तिहाई हिस्सा चीन के नियंत्रण में है।

सूत्रों के अनुसार काफी देर तक दोनों देशों के सैनिकों के बीच धक्का-मुक्की होती रही। बताया जा रहा है कि पट्रोलिंग के दौरान भारतीय सैनिको का सामना चीन के पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के सैनिकों के साथ हो गया। चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सेना के मौजूदगी का विरोध किया गया, जिसके बाद दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई। इस घटना के बाद दोनों देशों की तरफ से इलाके में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई। देर शाम तक दोनों में संघर्ष चलता रहा। दोनों देशों के बीच संघर्ष तब शांत हुआ जब दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की मीटिंग हुई।

पिछली बार जुलाई में चीन ने किया था सीमा उल्लंघन

बताया जा रहा है कि जिस समय भिड़ंत हुयी, भारतीय जवान भारत के ही सीमा में थे। इसलिए चीन की आपत्ति करने पर वे वहां से नहीं हटे। आपको बताते चले की चीन लगातार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) का उल्लंघन करता रहता है। इससे पहले चीनी सैनिकों ने पिछले साल जुलाई महीने में लद्दाख के उत्तरी हिस्से में घुसपैठ कर तंबू लगा दिए थे। जिसके बाद दोनों सेनाओं के बीच पहली बार आमना – सामना हुआ।

सीमा उल्लंघन की घटनाओं में आयी कमी

सेना ने बुधवार को हुयी घटना के बाद शिकायत दर्ज की और जहां दोनों सेनाओं के बीच ताजा भिड़ंत हुई है उसी के पास चुशुल-मोल्दो में सीमा कर्मियों की बैठक बुलाने के लिए कहा है। हाल के वर्षों में दोनों देशों की सेनाओं के आमने-सामने होने और सीमा उल्लंघन की घटनाओं में कमी आई है। रक्षा मंत्रालय ने 2018-19 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत-चीन सीमा पर स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है।

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रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पिछले वर्ष की तुलना में, इस वर्ष सीमा उल्लंघन की संख्या में काफी कमी आई है। नतीजतन, इस दौरान दोनों देशों के सेनाओ के बीच आमना-सामना और आक्रामक बातचीत के प्रतिशत में भी इस साल कमी दर्ज की गई है।

पाकिस्तान के साथ चीन

आपको बता दें कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के और इसे दो भागों में बांटने के बाद से पाकिस्तान के साथ-साथ चीन भी इसका विरोध कर रहा है। चीन को लद्दाख को केंद्रीय शासित प्रदेश बनाना खटक रहा है। इससे पहले भी वह कश्मीर मुद्दे पर यूएन में पाकिस्तान का साथ दे चुका है। याद रहे कि गृह मंत्री अमित शाह यह साफ कर चुके हैं कि पीओके और अक्साई चिन भी भारत का हिस्सा है। जब भी कश्मीर पर बात होगी तो पीओके के साथ-साथ अक्साई चिन पर भी बातचीत होनी तय है।

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