चीन बन गया है दुनिया का सबसे बड़ा डाटा सुपर पॉवर। क्रॉस बॉर्डर डेटा फ्लो और fractured इंटरनेट में बना दुनिया का अग्रणी देश।
एक समय था जब oil produce करने वाले देश दुनिया के सबसे अमीर देश हुआ करते थे। कुवैत क़तर, uae जैसे देशों दुनिया के अमीर देशों में शुमार होते थे। लेकिन अब समय बदल गया है। ए दौर है इंटरनेट का आज के इस दौर में डेटा आयल से भी ज़्यादा कीमती हो चुका है। और जिस देश के पास सबसे ज़्यादा डेटा है वह देश दुनिया का सबसे ज्यादा ताक़तवर व अमीर देश है।
इस मामले में चीन दुनिया के अन्य विकसित देशों के मुक़ाबले में काफ़ी आगे बढ़ चुका है। पूरी दुनिया में जेनेरेट होने वाले डेटा का 23 % अकेले चीन में आता है। जो अमेरिका 12 % का लगभग दोगुना है।
एक सर्वे के मुताबिक़ सबसे ज़्यादा क्रॉस बॉर्डर डेटा फ्लो जिस देश में होता है , उस देश के पास दुनिया का सबसे बड़ा डेटा भण्डार होता है।
आसान भाषा में कहें जिस देश के वर्चुअल प्रोडक्ट्स सर्वाधिक देशों में यूज़ होते हैं उस देश के पास ज़्यादा से ज़्यादा देशों का डेटा होता है।
उदहारण से समझे तो मान लेते हैं भारत में बने मोबाइल एप्प्स दुनिया के 25 देशों के लोग यूज़ करते हैं। तो भारत के पास उन 25 देश के इंटरनेट यूज़र्स का डेटा होगा।
2001 तक अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा डेटा भण्डार था। जो अब चीन के पास है।
आज की तारीख़ में चीन के पास प्रतिदिन लगभग 111 million mbps डेटा आता है।
निकटतम प्रतिद्वंदी अमेरिका का डेटा फ्लो है 60 million mbps
51. 22 million mbps डेटा फ्लो के साथ UK तीसरे नंबर पर है।
चौथा नंबर है हमारा,हमारे देश भारत का। जिसका CURRENT डेटा फ्लो है 32.97 million mbps
इसके बाद नंबर आता है singapore
brazil, vietnam, russia, germany,france का।
लेकिन ये डेटा है क्या ? और क्या है क्रॉस बॉर्डर डेटा फ्लो ? और fratured इंटरनेट से क्या अभिप्राय है ?
डेटा एक uncountable बहुवचन शब्द है डेटा का अर्थ होता है सूचना या तथ्य। एक देश से दूसरे देश के बीच होने वाले डेटा के आदान प्रदान को क्रॉस बॉर्डर डेटा फ्लो कहते हैं। ऐसे समझिए कि भारतीय चीन का टिक टॉक यूज़ करते हैं। और chines भारत का paytm अब इस तरह से टिक टॉक एप्प्स के जरिए चीन के पास भारत के लोगों की information आ रही है और paytm के माध्यम से chines लोगों की information भारत के पास आ रही है। लेकिन अब भारत में टिक टॉक बैन है और चीन ने तो पहले ही विदेशी एप्प्स पर पाबंदी लगा रखी है उदाहरण के लिए
चीन और अमेरिका के बीच होने वाला डेटा फ्लो को आंकड़ा है 25 % जो 2001 में 45 % था।
2001 में अमेरिका क्रॉस बॉर्डर डेटा फ्लो के मामले में नंबर एक पर था। 2001 में अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा डेटा स्टोरेज था।
इसके बाद
UK, जर्मनी, फ्रांस, जापान का नंबर था। गौर करने वाली बात है चीन का नंबर छठा था। और भारत 10वें नंबर पर था।
2014 में शी ज़िपनिंग के उदय के बाद चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया।
आज पूरी दुनिया में 485 million mbps डेटा फ्लो होता है जिसमें से अकेले चीन में 111 मिलियन एमबीपीएस डेटा फ्लो होता है। जो निकटम प्रतिद्वंदी अमेरिका से लगभग दोगुना है।
चीन का ज्यादातर डेटा ASIAN देशों से आता है। 2020 में चीन का डाटा फ्लो सबसे ज़्यादा विएतनाम 17 % और सिंगापुर से 15 % आता है। इन दोनों का योग है 32 % जो अमेरिका और चीन के बीच होने वाले डेटा फ्लो 25 % से भी ज्यादा है।
आपके दिमाग़ में ये सवाल चल रहा होगा कि आखिर कैसे चीन पूरी दुनिया में टेक्नोलॉजी के मामले में एक ऐसे शिखर पर विराजमान है जहाँ से दूर दूर तक कोई देश उसे चुनौती देता हुआ नहीं दिखाई देता ?
दरअसल शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता सम्हालते ही वन बेल्ट एंड वन रोड की नीति लागू की थी जिसके अन्तर्गत चीन दुनिया के लगभग देशों में सड़क,रेलमार्ग ,और बंदरगाह विकसित कर रहा है और ग़रीब देशों को कर्ज़ दे रहा है। चीन से हुए अनुबंध के तहत वो सारे देश चीन में बने उत्पाद को ही यूज़ करेंगे। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा दिया है चीन ने अपने देश की की बड़ी प्राइवेट कंपनियों को । चीन अपने देश की अलीबाबा जैसी बड़ी tech कंपनीज को पर्याप्त प्रोत्साहन और फंड उपलब्ध कराता रहा है। यही वज़ह है कि आज दुनिया के ज़्यादातर देशों chinies मोबाइल फ़ोन्स , और मोबाइल एप्प्स बड़ी मात्रा में यूज़ किये जाते हैं। और इन देशों में chinies प्रोडक्ट की काफ़ी डिमांड है।
alibaba का alipay मोबाइल पेमेंट प्लेटफार्म 55 से ज्यादा देशों में लगभग 1. 3 बिलियन लोग यूज़ करते हैं। 1.3 बिलियन का मतलब 130 करोड़ लोग।
इतनी हमारे देश की जनसँख्या है। जैसे हमारे देश में paytm उसे किया जाता है। लेकिन यहाँ paytm के अलावा भी कई और ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म उपलब्ध है जिनका लोग इस्तेमाल करते हैं। और इनमें से ज़्यादातर कम्पनियाँ भारतीय नहीं हैं। जैसे गूगल पे ,अमेज़ॉन पे आदि। लेकिन चीन ने ज़्यादातर विदेशी कंपनियों पर बैन लगा रखा है।
भारत में सबसे ज्यादा डेटा का आदान प्रदान UK फ़्रांस और जर्मनी के साथ होता है। पहले US के साथ होता था।
चीन दुनिया का डेटा सुपर पावर बन चुका है। चीन जितना ज़्यादा डाटा कंट्रोल करेगा भविष्य में वो उतना पावरफुल बनेगा। चीन में आर्थिक रूप से अपने प्रतिद्वंदियों से बहुत अधिक समृद्धि हो जायेगा।
fractured इंटरनेट का मतलब कोई देश अपनी सीमाओं के भीतर अर्थात स्वदेश में जो डाटा जेनेरेट करता है। उसे fractured इंटरनेट कहते हैं। यह डाटा आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के साथ अन्य और टेक्नोलॉजीज विकसित करने में बहुत उपयोगी है।
अकेले चीन में 900 मिलियन अर्थात 90 करोड़ लोग इंटरनेट उसे करते हैं। बात करे भारत की यहाँ इंटरनेट users की कुल संख्या 600 मिलियन के आस पास है।
जितना ज़्यादा पापुलेशन इंटरनेट यूज़ करेगी उतना ज्यादा डाटा जेनेरेट होगा। डेटा की मदद से और अच्छी टेक्नोलॉजीज तथा एप्प्स डेवेलोप कर सकते हैं।
इन टेक्नोलॉजीज और एप्प्स को बेंचकर अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं। जैसा कि चीन करता है।
आज के समय में किसी भी देश के आर्थिक विकास एवं तकनीक के नवीनीकरण में उस देश की जनसंख्या का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है।
हालिया शोधों के माध्यम से पता चला है कि आर्टिफिशल इंटेलेजन्स मे पूरी दुनिया में चीन का शेयर 26.5 % है। जबकि पहले नंबर पर अमेरिका है 29 % के साथ। आने वाले दिनों में चीन अमेरिका को पीछे छोड़ देगा।