21 दिनों के लॉकडाउन से सबसे ज्यादा श्रमिक और गरीब प्रभावित हुए हैं। क्योंकि यह अपने घर से दूर अन्य शहरों और राज्यों में रहकर कमाते खाते थे। लॉकडाउन की वजह से सभी कामकाज बंद है। जिसकी वजह से इनको रोजगार नहीं मिल रहा और मजबूरन इनको अपने गांव वापस लौटना पड़ रहा है। यातायात भी पूरी तरह से बंद होने की वजह से इनको सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ रही है। ऐसे में इनके पास पैसे व खाने-पीने की भी कमी है।
Union Home Secretary AK Bhalla has written to all States/UTs to take immediate steps to provide adequate support, including food and shelter, to migrant agricultural labourers, industrial workers and other unorganized sector workers during the 21-day nationwide COVID-19 lockdown.
— ANI (@ANI) March 27, 2020
इसे देखते हुए गृह मंत्रालय ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वह इन श्रमिकों और मजदूरों के खाने-पीने और रहने की उचित व्यवस्था करें। गृह मंत्रालय के सचिव एके भल्ला ने कहा की राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों को 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कृषि मजदूरों, उद्योगिक श्रमिकों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के भोजन और आश्रय सहित पर्याप्त सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल कदम उठाएं।
बता दे पहले सभी को आशा थी की 31 मार्च तक सब सामान्य हो जाएगा और पहले की तरह जिंदगी चल पड़ेगी पर प्रतिदिन भारत में कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या बढ़ते देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 21 दिनों के लिए पूरे देश को लॉकडाउन करने का आदेश दिया था। जिसके बाद इन मजदूरों और श्रमिकों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो गई। क्योंकि यह रोज कमाने-खाने वाले होते हैं। ऐसे में काम धंधा पूरी तरह बंद हो जाने से इन को रोजगार मिलना बंद हो गया और मजबूरन इनको अपने गांव के लिए रवाना होना पढ़ रहा है।
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यह सभी श्रमिक और मजदूर अपने गांव के लिए रवाना हो रहे हैं पर इनको अपने गांव पहुंचने में कम से कम 5 से 10 दिन लग सकते हैं। क्योंकि पूरे देश में लॉकडाउन है, जिसकी वजह से ट्रेन, बसें भी बंद है। इसलिए यह अपने गांव पैदल, साइकिल या रिक्शा से जा रहे हैं। इस तरह इनको सफर तय करने बहुत समय लगेगा और इस दौरान इनको खाने-पीने की भी बहुत जरूरत पड़ेगी। इसलिए अब सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इनके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था करेंगे।