इंसेफेलाइटिस आंकड़ों को लेकर ट्विटर पर छाए योगी

    google

    उत्तर प्रदेश अब इंसेफ्लाइटिस से मुक्त हो चुका है। महामारी इंसेफ्लाइटिस है जिसकी वजह से कभी पूरे देश में इस शहर का नाम चर्चा में आया था। पर आज के चर्चा का कारण इंसेफ्लाइटिस की समस्या नहीं बल्कि उससे मुक्ति मिलने की खबर है।आपको बता दे की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहनगर गोरखपुर इस वक्त ट्विटर बहुत तेजी से ट्रेंड कर रहा है।

    सीएम को मिली ढेरों बधाइयाँ

    आप इस समय सोशल मिडिया को खोलकर देखगे तो आपको ट्विटर पर इस समय केवल इंसेफ्लाइटिस दिखेगा। आपको बता दे की गुरुवार को दिनभर ट्विटर पर #इंसेफेलाइटिसफ्रीयूपी ट्रेंड करता रहा। ट्विटर यूजर्स गोरखपुर सहित इंसेफ्लाइटिस से पीड़ित विभिन्न जनपदों में इस वर्ष इंसेफ्लाइटिस के न्यूनतम प्रभाव के आंकड़ों को लेकर खुशी जाहिर कर रहे हैं। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की सराहना करते हुए बधाई भी दे रहे हैं।

    इंसेफ्लाइटिस नियंत्रण के लिए सीएम ने उठाये ठोस कदम

    दरअसल गोरखपुर व आसपास के जनपदों में मासूम बच्चों के लिए काल बनी इंसेफ्लाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने 33 महीनों में नियोजित प्रयास किये। इसके साथ सभी अस्पतालों में संसाधन तो बढ़ाये ही गए। जन- जागरूकता के लिए ‘दस्तक’ अभियान भी चलाया गया। दस्तक अभियान को केंद्र सरकार ने भी खूब सराहा है।

    मौत के आंकड़ों में तेजी से आई कमी

    जैसा की आप जानते है की बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में जापानी इंसेफ्लाइटिस से वर्ष 2016 में जहां 442 पीड़ित बच्चों में से 74 की मौत हुई थी। 2019 में कुल भर्ती 235 मरीजों में से केवल 21 ही काल-कवलित हुए। इसी तरह 2016 में एईइस के कुल 1765 बच्चों में से 466 की मौत हुई वहीं 2019 में 541 में से केवल 54 को ही नहीं बचाया जा सका। इंसेफ्लाइटिस और एईएस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए योगी सरकार द्वारा किये जा रहे ठोस चिकित्सकीय प्रबंधों के लिए ट्विटर पर लोगों की सराहना मिल रही है।

    यूजर्स ने पेश की अपनी राय

    आपको बता दे की पूर्वांचल में 40 लाख बच्चों का टीकाकरण हुआ। घर-घर जाकर दस्तक अभियान चलाया गया। BRD मेडिकल कॉलेज में बेड की संख्या बढ़ी इलाज के लिए वॉर्मर उपलब्ध हुए। तब जाकर इंसेफ्लाइटिस से होने वाली मौतों के आंकड़ों में 65 प्रतिशत की कमी आई है। जापानी बुखार से साल 1977 से पूर्वांचल के जिलों में मौतों का दौर शुरू हुआ।यह दौर 2016 तक जारी रहा। 2017 में जब योगी सरकार बनी तब जेई की रोकथाम के लिए कदम उठाए। नहीं तो पहले मरीज जाता था उसे अज्ञात बीमारी बताकर बच्चे को मरने के लिए छोड़ देते थे।

    जानिए क्या होता है “इंसेफ्लाइटिस”

    यह रोग एक प्रकार के विषाणु से होता है। यह विषाणु इतने सूक्ष्म होत हैं कि साधारण सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप) से भी नहीं देखे जा सकते हैं। इस रोग का वाहक मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो विषाणु उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और लगभग 4 दिन से 14 दिन के अन्दर उस व्यक्ति में इस रोग के लक्षण दिखने लगते हैं।

    “इंसेफ्लाइटिस”रोग के लक्षण

    “इंसेफ्लाइटिस” के लक्षण अस्पष्ट होते हैं। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इससे दिमाग में ज्वर, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। रोगी का शरीर निर्बल हो जाता है। वह प्रकाश से डरता है। कुछ रोगियों (बहुत कम) के गर्दन में जकड़न आ जाती है। डॉक्टरों के मुताबिक यहां तक कि रोगी लकवा के भी शिकार हो जाते हैं। ये सभी लक्षण मस्तिष्क की सुरक्षा प्रणाली के क्रियाशील (ऐक्टिव) होने के कारण प्रकट होते हैं। क्योंकि सुरक्षा प्रणाली संक्रमण से मुक्ति पाने के लिये क्रियाशील हो जाती है।

    About Author

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    five + twenty =