Vastu Shastra: ईस्ट या वेस्ट किस दिशा में होना चाहिए घर, रसोईं व पूजा घर

Vastu Shastra

आज इस लेख में हम आपको वास्तु शास्त्र (vastu shastra) के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे तथा यह भी बताएंगे कि घर (House) में किस-किस दिशा में कौन से कमरे निकाले जाने चाहिए। इस लेख को अंत तक पढ़े और वास्तु शास्त्र से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी को ग्रहण करें।

वास्तु शास्त्र का अर्थ है आर्किटेक्चर का विज्ञान। आर्किटेक्चर को ही वास्तु बोला गया है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार वास्तु शास्त्र को एक अहम स्थान दिया गया है। भारतीय ग्रंथों में वास्तु को लेकर जो दिशा निर्देश दिए गए हैं उनके अनुसार घर का नक्शा, नाप, जमीनी तैयारी, जगह का अरेंजमेंट और भी जरूरी बातें लिखी हुई हैं। vastu shastra के अनुसार घर के नक्शे को तथा उसकी डिजाइन को इस तरीके से बनाया जाता है जिससे कि वह प्रकृति और प्रकृति में होने वाले बदलावों को सकारात्मक रूप में ग्रहण कर सकें तथा जिस तरह की भी प्राकृतिक ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। उनका असर घर पर पड़े तथा जब उसमें लोग रहे तो उन पर भी पड़ सके।

Vastu Shastra वास्तु विद्या का एक लिखित पत्र है। जोकि आर्किटेक्चर और डिजाइन के बारे में एक बड़ा ज्ञान प्रदान करता है, जोकि प्राचीन भारत से काफी मिलता है। वास्तु विद्या एक तरीके का संग्रह है जिसमें विभिन्न प्रकार के विषय वस्तु और आइडिया दिए हुए हैं। जिनसे हमें यह ज्ञात होता है की किस प्रकार से किसी घर या किसी बिल्डिंग या घरों के समूह को किस तरीके से अरेंज करना होता है। उनमें किस तरह की वस्तुओं का प्रयोग करना होता है तथा घर के जो कमरे होते हैं उन्हें किन दिशाओं में रखना होता है।

प्राचीन भारत में पूरे पूरे शहर ही वास्तुशास्त्र के अनुसार बनाए जाते थे जैसे कि मंदिर की स्थिति कहां होगी तथा उस मंदिर में भगवान किस दिशा में बैठेंगे, इसके अलावा घर कहां बनाए जाएंगे, बगीचे कहां होंगे, सड़के कहां से निकाली जाएंगी, पानी से संबंधित कार्य कहां होंगे दुकाने और लोगों के घूमने फिरने की जगह कहां-कहां पर स्थित होंगी।

वर्तमान समय में अगर हम देखें तो लोग आजकल वास्तु को ध्यान में रखे बिना ही अपने घरों का निर्माण करवाते हैं। इसे हम भारतवर्ष का दुर्भाग्य ही कहेंगे। क्योंकि हमारे पास एक ऐसी धरोहर है जिसे हम इस्तेमाल करके Infrastructure में बहुत तरक्की कर सकते हैं। परंतु मॉडर्न बनने के चक्कर में लोगों ने इसे एक धार्मिक रीति रिवाज से जोड़ दिया है तथा एक धर्म विशेष बना दिया है। जबकि असलियत में तो यह एक तरह का विज्ञान है जो इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे विषय को प्रकृति से जोड़ता है।

फेडरेशन ऑफ इंडिया नेशनलिस्ट एसोसिएशन के प्रमुख श्री नरेंद्र नायक जी का कहना है कि वास्तु शास्त्र एक छद्म विज्ञान है। आजकल वास्तु सलाहकार विज्ञान के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं खगोलवेद जयंत नारलीकर का कहना है कि पर्यावरण से वास्तु शास्त्र का कोई तार्किक संबंध नहीं।

वहीं दूसरी तरफ वास्तुकला और संस्कृत साहित्य के विद्वान विभूति चक्रवर्ती का कहना है जिन्होंने वास्तु साहित्य को आलोचनात्मक तरीके से अनुवादित किया है की समकालीन भारत में कुछ लोग ऐसे हैं जोकि वास्तु सलाहकार के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और वह वास्तुशिल्प पद्धति को धार्मिक परंपरा के रूप में लोगों के समक्ष पेश करते हैं । यह लोग सिर्फ लालच के लिए ऐसा करते हैं या झोलाछाप पुजारी या ज्योतिषी होते हैं जिन्हें असल में इसका कोई ज्ञान नहीं है यह कभी-कभी वैदिक विज्ञान की झूठी सलाह देकर भी अंधविश्वास का प्रचार करते हैं।

अब हम आपको बताएंगे के किन दिशाओं में किस प्रकार की ऊर्जा होती है और वहां पर घर के कौन से कमरे होने चाहिए-

1. पूर्व दिशा– पूर्व दिशा (East Direction) से सूर्य का उदय होता है। इसका मतलब यह है कि यह दिशा बहुत ही सकारात्मक और ऊर्जावान होती है क्योंकि सूर्य के उदय के साथ किरण घर में पड़ती हैं। घर का मैग्नेट यदि इस दिशा में है तो यह बहुत ही अच्छा माना जाता है।  पूर्व दिशा में खिड़की अगर हो तो यह अच्छा है।

2. पश्चिम दिशा– पश्चिम दिशा (West direction) में घर का किचन और टॉयलेट होना चाहिए लेकिन यह ध्यान में रहे कि किचन और टॉयलेट एकदम आसपास ना हो।

3. उत्तर दिशा- उत्तर दिशा में घर के सबसे ज्यादा दरवाजे और खिड़कियां होने चाहिए। यदि बालकनी निकली है तो वह भी उत्तर दिशा (North Direction) में ही निकालनी चाहिए।  इस दिशा में एक छोटा सा वाश बेसिन बनाया जा सकता है। कुल मिला के उत्तर दिशा में खुला एरिया होना चाहिए या फिर ऐसा कुछ जिससे घर के बाहर दिखाई दे।

4. दक्षिण दिशा– दक्षिण दिशा को बंद रखना चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार का कोई खिड़की या दरवाजा या कोई रोशनदान या कैसा भी खुलापन नहीं होना चाहिए। दक्षिण दिशा में घर का टॉयलेट नहीं होना चाहिए । यदि कोई भारी समान है तो उसे दक्षिण दिशा (South Direction) में रखा जाना चाहिए । अगर इस दिशा में कोई खिड़की या दरवाजा निकाल दिया तो एक नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाता है इस वजह से घर में लड़ाई झगड़े और क्लेश होना संभव है।

उत्तर पूर्व दिशा – उत्तर पूर्व दिशा को ईशान दिशा भी कहा जाता है। ईशान दिशा में जल को महत्व दिया गया है यानी कि जल से जुड़े जो भी वस्तु हैं और स्थल हैं वह उत्तर पूर्व दिशा (north east direction) में स्थित किए जा सकते हैं, जैसे कि मोटर के लिए बोरिंग, स्विमिंग पूल आदि डाल सकते हैं, पूजा स्थल भी यानी कि घर का मंदिर भी उत्तर पूर्व दिशा में रखा जा सकता है।

उत्तर पश्चिम दिशा– उत्तर पश्चिम दिशा (north west direction) को वायव्य दिशा कहते हैं । इस दिशा में घर का बेडरूम हो सकता है और बाहर की तरफ गैरज डाल सकते हैं या गौशाला आदि भी बनाया जा सकता है।

दक्षिण पूर्व दिशा– दक्षिण पूर्व दिशा को घर का आग्नेय कोण कहते हैं यानी कि इस दिशा में अग्नि का काफी महत्व है।  इस दिशा में गैस होनी चाहिए यदि बॉयलर और ट्रांसफार्मर है तो उसे दक्षिण पूर्व दिशा (south east direction) में फिक्स करना चाहिए।

दक्षिण पश्चिम दिशा– South West Direction दिशा को नैऋत्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में घर के खुले हिस्से नहीं होने चाहिए जैसे की खिड़की और दरवाजे। इस दिशा में घर के मुखिया का कमरा बनवाया जा सकता है। धन संबंधी वस्तुएं इस दिशा में रखनी चाहिए जैसे कि घर की तिजोरी इस दिशा में रख सकते हैं । यदि कोई ऑफिस है तो कैश काउंटर मशीनें आदि इस दिशा में रखी जा सकती हैं।

घर का आंगन– घर में आंगन होना बहुत ही अनिवार्य होता है । आंगन के बिना घर अधूरा होता है । छोटा ही सही लेकिन घर में आंगन होना बहुत ही जरूरी है । घर के आगे और पीछे आंगन बनाना चाहिए । उसमें पेड़ पौधे भी लगाए जाने चाहिए जैसे कि तुलसी अनार अमरूद मीठा या कड़वा नीम का पेड़ आंवले आदि के पेड़ जो कि छोटे होते हैं और ज्यादा बड़े होकर खेलते नहीं हैं लगाए जाने चाहिए सकारात्मक ऊर्जा के लिए फूल वाले पौधे भी लगाने चाहिए।

East Facing House Vastu Plan

ईस्ट फेसिंग हाउस को बहुत ही शुभ माना जाता है । वास्तु शास्त्र के अनुसार कुल नौ खंड होते हैं जिन्हें पद कहते हैं जिसमें से पांचवा पद जोकि बहुत शुभ होता है, उसमें घर का मुख्य दरवाजा ईस्ट फेसिंग होता है। इस दिशा में सूर्योदय होने के कारण सूर्य का आशीर्वाद घर पर माना जाता है इसे घर में सूर्य की किरणें और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। ईस्ट फेसिंग हाउस में क्या नहीं करना चाहिए- नॉर्थईस्ट कोनों में टॉयलेट नहीं होने चाहिए। नॉर्थईस्ट कोनों में घर के बेडरूम नहीं होना चाहिए। नॉर्थईस्ट कोने में सेप्टिक टैंक नहीं बनाया जाना चाहिए। नॉर्थ ईस्ट दिशा में सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए नॉर्थईस्ट कोने में किचन बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए।

West Facing House Vastu Plan- Tips

  • मुख्य द्वार का मुख उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ या बीच में होना चाहिए। लेकिन दक्षिण-पश्चिम दिशा से बचने का प्रयास करें।
  • यदि आप अपने घर के पश्चिम दिशा से अंदर आ रहे हैं, तो पश्चिम दिशा में पूर्व की ओर मुंह करके मूर्ति या देवता का चित्र लगाएं।
  • पूजा कक्ष और लिविंग रूम का निर्माण ईशान कोण पर करना चाहिए। यह सबसे शुभ कोना है।
  • किचन ईशान कोण में होना चाहिए। बेडरूम, पूजा कक्ष और टॉइलेट के ऊपर या नीचे किचन के निर्माण से बचें।
  • मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। मल्टी स्टोरी घर के मामले में, यह सबसे ऊपरी मंजिल पर रखना चाहिए।
  • बच्चों का बेडरूम पश्चिम, दक्षिण या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाया जाना चाइए।
  • अतिथि का शयनकक्ष/ गेस्ट रूम उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाया जाना चाइए ।
  • स्टडी रूम, डाइनिंग हॉल, ओवरहेड वॉटर टैंक और टॉयलेट पश्चिम दिशा में रखे जा सकते हैं।
  • दरवाजे और खिड़कियों की कुल संख्या बराबर रखनी चाइए ।
  • उत्तर और पूर्व दिशाओं में अधिक खिड़कियां जोड़नी चाइए ।
  • पश्चिम की ओर की खिड़कियों से सूर्य की रोशनी को प्रवेश करने से न रोकें।
  • सीढि़यों को ईशान कोण में रखने से बचें। सीढ़ियों की कुल संख्या ओड/विषम होनी चाहिए।
  • आपकी दीवार का कलर टोन न्यूट्रल होना चाहिए। सफेद, चांदी, बेज, पीला, हल्का नीला, ऑफ-व्हाइट और क्रेम पसंद करें। बहुत चटक रंग न लगाएँ ।
  • अपने घर की दीवार के रंग के रूप में बहुत अधिक चमकीले रंगों का प्रयोग न करें।
  • पश्चिम और दक्षिण कोनों की दीवारों को उत्तर और पूर्व दिशाओं की दीवारों की तुलना में मोटा बनाए जाने का प्रयास करना चाइए।
  • अपने घर के मुख्य द्वार के पास कूड़ेदान या टूटे हुए फर्नीचर को न रखेँ ।
  • अपने बेडरूम में शीशा नहीं लगाना चाइए। यदि आपके बेडरूम में ड्रेसिंग टेबल है तो जांच लें कि यह उत्तर या पूर्व की ओर न हो।
  • शीशे को फर्श से 4 से 5 फीट ज्यादा ऊपर रखना चाहिए।
  • आपके पश्चिम मुखी गार्डेन ट्यूलिप, गुलाब और डैफोडील्स से सुंदर दिखेंगे।
  • यदि आप पश्चिममुखी फ्लैट या प्लॉट खरीद रहे हैं, तो खरीदने से बचें, यदि यह दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम कोनों की ओर अधिक फैला हुआ है और यदि यह दक्षिण कोने की तुलना में उत्तर में अधिक है तो ऐसा फ्लॅट न लें।

South Facing House Vastu Plan – Tips

  • घर के मुख्य द्वार को साउथ के बीच में रखे यानी कि उसके सेंटर में रखें या तो वह सेंटर में हो या फिर वह थोड़ा सा बाई तरफ हो सकता है
  • या जरूर सुनिश्चित कर लें कि घर का मुख्य दरवाजा सबसे बड़ा होना चाहिए इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है
  • घर का मास्टर बैडरूम साउथ वेस्ट डायरेक्शन में होना चाहिए इससे सकारात्मक ऊर्जा बनती है और एक आरामदायक वातावरण उत्पन्न होता है
  • घर के बाकी बैडरूम को नॉर्थ वेस्ट दिशा में रखा जाना चाहिए यह एक आदर्श दशा मानी गई है
  • खाना बनाने की दिशा सही होनी चाहिए इसका निश्चय किचन किस दिशा में है उससे किया जाता है

पूजा घर का वास्तु | Pooja Room Vastu

घर का मंदिर ईशान कोण में बनाया जाना चाहिए। यह दिशा सबसे उचित होती है मंदिर की दिशा इस तरीके से होनी चाहिए की पूजा करते समय हमारा मुख पूर्व दिशा की ओर रहे।  वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आप का घर बड़ा है तो फिर मंदिर के लिए एक कमरा अलग से बनाया जाना चाहिए।  यदि घर छोटा है तो एक उचित स्थान देखकर मंदिर की स्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए। लोग अक्सर मंदिर को जमीन पर रख देते हैं जो कि सही नहीं है।  मंदिर की स्थिति इतनी होनी चाहिए कि उसमें रखे भगवान के चरण हमारे हृदय से बराबरी पर हो यानी कि मंदिर की ऊंचाई इतनी हो के भगवान के चरण हमारे सीने तक आए।

सोने के लिए सबसे अच्छी दिशा | Sleeping Direction as per Vastu

वास्तु शास्त्र के अनुसार सोने की सबसे अच्छी दिशा होती है अपने पैरों को नार्थ की तरफ करके और सर को साउथ की तरफ।  रिसर्च में भी ऐसा पाया गया है कि कुछ जानवर हमेशा नॉर्थ साउथ डायरेक्शन में ही सोते और खाते हैं इससे ऐसा पाया गया है कि यह डायरेक्शन उनका ब्लड प्रेशर कम करता है और नींद की क्वालिटी को अच्छा करता है । यही रिसर्च मनुष्यों पर भी अप्लाई होती है नॉर्थ साउथ डायरेक्शन में सोने से ब्लड प्रेशर अच्छा रहता है और नींद अच्छी आती है।

किचन वास्तु टिप्स | kitchen Vastu

घर में दक्षिण पूर्व की दिशा किचन के लिए सबसे अच्छी होती है या शुभ होती है।  यह ध्यान रखें कि टॉयलेट के ऊपर या नीचे किचन को ना बनाएं, साथ ही साथ बेडरूम के ऊपर भी और नीचे किचन को ना बनाएं। किचन में जो गैस चूल्हा है वह दरवाजे के एकदम सामने नहीं होना चाहिए।

Kitchen का जो मुख्य द्वार है वह कोने में नहीं होना चाहिए बल्कि दरवाजे को पूर्व पश्चिम या उत्तरी दीवार की तरफ बनाना चाहिए।  ईशान कोण में किचन को नहीं बनाना चाहिए यदि ऐसा कर रहे हैं तो यह जान लें कि घर वालों में एक मानसिक तनाव उत्पन्न होता रहेगा। दक्षिण पश्चिमी दिशा में भी किचन नहीं बनाना चाहिए ऐसा करने से घर में झगड़े होते हैं। 

North Direction में भी किचन बनाना अच्छा नहीं होता है क्योंकि यह कुबेर भगवान की दिशा होती है यदि आप उत्तर दिशा में किचन बना रहे हैं तो यह मान लें की आप के खर्चे बढ़ सकते हैं।  खाना बनाते वक्त जो आपके चेहरे की स्थिति हो वह पश्चिम दिशा मैं नहीं होनी चाहिए । इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि किचन की दीवारों का रंग कभी भी काला ना हो।

निष्कर्ष– आज इस लेख के माध्यम से हमने Vastu Shashtra के बारे में काफी कुछ जाना। हमने जाना वास्तु शास्त्र क्या होता है, वास्तु शास्त्र का हमारे घर निर्माण में कितना योगदान होता है और यह कितना जरूरी होता है, किस तरह से आजकल लोग वास्तु शास्त्र को दुनिया के समक्ष दिखाते हैं। इसके बारे में भी हमने जाना, उसके बाद हमने वास्तु विज्ञान को समझा जैसे कि किन दिशाओं में घर के कौन से कमरे (Rooms) और कोने होने चाहिए।

घर की कौन सी वस्तु है, किस दिशा में रखी जानी चाहिए, साथ ही साथ हमने यह भी जाना की ईस्ट फेसिंग हाउस प्लान, वेस्ट फेसिंग हाउस प्लान और साउथ फेसिंग हाउस प्लान की कुछ जरूरी टिप्स क्या है। पूजा रूम का वास्तु कैसा होना चाहिए, सोने के लिए सबसे अच्छे दिशा कौन सी होती है तथा किचन Vaastu Tips भी जाने। हम आशा करते हैं कि इस लेख के माध्यम से आपको वास्तु शास्त्र से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होंगी।

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