देश में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। भारत को पूरी तरह से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है। इस बीच झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के एक सरकारी अस्पताल के एक डॉक्टर दंपती ने नौकरी से इसलिए इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उसकी ड्यूटी कोरोना वायरस के आइसोलेशन वार्ड में लगाई गई थी। अधिकारियों के मुताबिक डॉक्टर ने अपनी पत्नी के साथ व्हाट्सएप संदेश के माध्यम से इस बारे में बताया और बाद में ईमेल भी किया।
पश्चिम सिंहभूम जिले के सिविल सर्जन डॉ. मंजू दुबे ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने डॉक्टर आलोक तिर्की को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर नितिन मदन कुलकर्णी के निर्देश पर उन्हें तुरंत ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा है।डॉक्टर मंजू ने बताया कि स्वास्थ्य सचिव के निर्देश के अनुसार मैंने डॉक्टर तिर्की से 24 घंटे के भीतर ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा है। अन्यथा झारखंड महामारी रोग कोविड 19 विनियमन -2020 और महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
अगर वो तत्काल अपनी ड्यूटी पर वापस नहीं आते हैं तो उनका पंजीकरण मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा निरस्त भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर तिर्की का इस्तीफा मुझे सोमवार की रात को व्हाट्सएप पर और मंगलवार की सुबह ईमेल पर मिला।
वह पहले जिला खनिज निधि ट्रस्ट के तहत जिले में थे, लेकिन नव-निर्मित दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शामिल होने के लिए इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्होंने डीएमसीएच से भी इस्तीफा दे दिया था और कुछ दिन पहले ही यहां के सदर अस्पताल को ज्वाइन किया था।
तीन दिन पहले उन्हें कोरोनो वायरस के आइसोलेशन वार्ड में उन्हें तैनात किया गया था। डॉ. दुबे ने कहा कि तिर्की दंपती के अलावा सदर अस्पताल के अन्य 23 डॉक्टरों में से किसी ने भी इस्तीफा नहीं दिया है और ना ही अब तक किसी ने भी छुट्टी मांगी है। डॉ. तिर्की एक विशेषज्ञ चिकित्सक हैं। सिविल सर्जन ने कहा कि डॉक्टर तिर्की ने अपने त्याग पत्र में अपनी पत्नी डॉ सौम्या की स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला दिया है।
डॉक्टर तिर्की ने कहा कि वह ऑफिस पॉलिटिक्स का शिकार थे। साथ ही उन्होंने कहा है कि मेरी पत्नी और बहन एक इम्यूनोसप्रेसिव अवस्था में हैं और उनमें संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा है।इसलिए हमने अपने पदों से इस्तीफा दिया है। मेरी बहन का हाल ही में गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ था। उन्होंने कहा है कि वैसे भी मैं भागने वाला नहीं हूं और फिलहाल अपनी सेवाएं दूंगा, लेकिन कोविड -19 संकट के खत्म होने बाद वो इस नौकरी को छोड़ देंगे।
डॉक्टर तिर्की ने कहा कि चाईबासा के लोग जानते हैं कि उन्होंने शहर में अपने आखिरी कार्यकाल के दौरान कैसे उनकी सेवा की है। मैं गैर-संचारी रोग विभाग में चार दिन पहले यहां फिर से आया था। लेकिन अगले दिन ही मुझे कोरोना आइसोलेशन वार्ड में अकेले तैनात किया गया था। डॉक्टर तिर्की ने आरोप लगाया कि अन्य डॉक्टरों को आइसोलेशन वार्ड में तैनात नहीं किया गया था और मैं अकेले मरीजों की भीड़ को कैसे संभाल सकता था।
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उन्होंने कहा कि मैंने बिना सुरक्षात्मक किट के पहले दिन सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक आइसोलेशन वॉर्ड में था। डीएमसीएच की स्थिति यह थी कि यहां अधिकांश दवाएं उपलब्ध नहीं थीं। जिससे आने वाले मरीजों का इलाज किया जा सके। वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के लिए पूरे देश में 14 अप्रैल तक पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई है। अभी तक भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 536 हो गई है। तमिलनाडु में एक व्यक्ति की मौत के साथ देश में कुल मृतकों की संख्या 11 हो गई है।