Diwali हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों मे से एक है और हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 04 November को है। मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम अयोध्या वापस आये थे। उनके वापस आने की ख़ुशी में सभी जगह पर दीपक जलाये गए थे। और तभी से इस दिन दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
दिवाली पर क्यों होती है श्री लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा?
आपके मन में भी ये सवाल कभी न कभी जरूर आया होगा कि दिवाली पर श्री राम जी अयोध्या आये थे तो इस दिन श्री लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा क्यों होती है। तो हम आपको बता दें कि इसके पीछे एक पुरानी कथा जुडी हुई है। तो आयी ये जानते है क्या है वो कथा?
जैसा कि आप जानते है कि स्वर्ग पर देवताओं का राज है। लेकिन एक समय ऐसा आया जब देवताओं को घमंड हो गया। देवताओं के राजा इंद्र देव् एक बार ऐरावत पर बैठकर कहीं जा रहे थे। तभी उनकी भेंट अचानक ऋषि दुर्वासा से हुई। ऋषि इंद्र देव् को देख कर प्रसन्न हुए और उन्हें पारिजात वृक्ष के पुष्प से बनी माला भेंट की। लेकिन इंद्र देव् अपने अभिमान में चूर थे और वो माला उन्होंने ऐरावत के गले में दाल दी और ऐरावत ने इस माला को गिरा दिया व पैरों से राउंड दिया।
ये देख कर दुर्वासा ऋषि बहुत क्रोधित हो गए और श्राप देते हुए कहा कि “हे इंद्र जिस अभिमान कि वजह से तुमने मेरे द्वारा दी गयी भेंट का अनादर किया है वो तुम्हारे पास से तुरंत चली जाएगी।” दुर्वासा ऋषि के इस श्राप के बाद तीनो लोक श्री हीन हो गए और देवता कमजोर हो गए। इसके बाद इंद्र समेत सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और कोई उपाय बताने को कहा।
जिसके बाद ब्रह्मा जी ने समुद्र मंथन करने को कहा। राक्षस और देवताओं ने मिलकर समुद्र मंथन शुरू किया और कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मंथन के दौरान लक्ष्मी जी प्रगट हुई और तीनों लोकों में एक बार फिर धन-वैभव लौट आया। लक्ष्मी जी के मय में कोई गलती न हो, इसलिए माता सरस्वती और श्री गणेश जी की पूजा की जाती है।
Diwali 2021 शुभ मुहूर्त
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त 4 November को शाम 6 बजकर 9 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 4 मिनट तक रहेगा।
लक्ष्मी जी बीज मंत्र
ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:
श्री लक्ष्मी जी की आरती |
श्री गणेश जी की आरती |
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, | वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। |
नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि। | निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।। |
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, | |
नमस्तुभ्यं दयानिधे॥ | जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा |
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा | |
पद्मालये नमस्तुभ्यं, | |
नमस्तुभ्यं च सर्वदे। | एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। |
सर्वभूत हितार्थाय, | माथे पर तिलक सोहे, मूस की सवारी।। |
वसु सृष्टिं सदा कुरुं॥ | |
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा। | |
ॐ जय लक्ष्मी माता, | लड्डुवन का भोग लगे संत करे सेवा।। |
मैया जय लक्ष्मी माता। | |
तुमको निसदिन सेवत, | जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। |
हर विष्णु विधाता॥ | माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। |
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, | अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया। |
तुम ही जग माता। | बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।। |
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, | |
नारद ऋषि गाता॥ | सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। |
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥ | माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। |
दुर्गा रुप निरंजनि, | जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। |
सुख-संपत्ति दाता। | माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। |
जो कोई तुमको ध्याता, | |
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ | लड्डुवन का भोग लगे संत करे सेवा। |
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥ |
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।।
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तुम ही पाताल निवासनी, | |
तुम ही शुभदाता। | |
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, | |
भव निधि की त्राता॥ | |
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥ | |
जिस घर तुम रहती हो, | |
ताँहि में हैं सद्गुण आता। | |
सब सभंव हो जाता, | |
मन नहीं घबराता॥ | |
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥ | |
तुम बिन यज्ञ ना होता, | |
वस्त्र न कोई पाता। | |
खान पान का वैभव, | |
सब तुमसे आता॥ | |
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥ | |
शुभ गुण मंदिर सुंदर, | |
क्षीरोदधि जाता। | |
रत्न चतुर्दश तुम बिन, | |
कोई नहीं पाता॥ | |
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥ | |
महालक्ष्मी जी की आरती, | |
जो कोई नर गाता। | |
उँर आंनद समाता, | |
पाप उतर जाता॥ | |
॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥ | |
ॐ जय लक्ष्मी माता, | |
मैया जय लक्ष्मी माता । | |
तुमको निसदिन सेवत, | |
हर विष्णु विधाता॥ |