बढ़ते प्रदुषण को लेकर राजधानी दिल्ली में इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा की। ऐसे प्रदूषण में जनता के घुट-घुट के जीने से भतेर है की एक बेम विस्फोट में जनता को उदा दिया जाये। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुनवाई के दौरान कहा, एक-दूसरे पर आरोप लगाने के अलावा कुछ नहीं हो रहा है।
आखिर क्यों जनता को गैस चेंबर में जीने को मजबूर किया जा रहा है। इससे अच्छा हो कि लोगों को एक बार में ही मार दिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा की क्यों ना 15 विस्फोटक से भरे बैग दिल्ली में रख दिए जाएं और सब उड़ जाएं। लोगों के लिए रोज के मरने से तो यही बेहतर होगा। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब की सरकारों को भी फटकार लगाई है।
Supreme Court asks Punjab Chief Secretary what steps have been taken to prevent stubble burning. Says, "How can you treat people like this & let them die. Tell us why stubble burning increased after our order. Why are you not able to check stubble burning. Is it not a failure?" https://t.co/4g2vK2MbfT
— ANI (@ANI) November 25, 2019
दिल्ली और एनसीआर में बीते एक महीने से वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह है। हवा की गुणवत्ता ऐसी नहीं है कि जिसमें सांस लिया जा सके। इस पर कई याचिकाएं अदालत मे दाखिल की गई हैं। जिन पर सुनवाई हो रही है। बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट सरकारों की ओर से किए जा रहे। इंतजामात से खफा दिखा।
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सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को फटकार लगाते हुए पूछा, दिल्ली जहन्नुम से बदतर हो गई है। आप क्या कर रहे हैं? पानी और हवा के प्रदूषण को रोकने के लिए आपने क्या किया है? कहां है रिपोर्ट? दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केंद्र और राज्य, दो केंद्र होने चलते दिक्कत पेश आ रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा कि दोनों अपने बीच दूरी कम करें और एकसाथ बैठकर 10 दिन के भीतर शहर के विभिन्न भागों में एयर प्यूरिफाइंग टावर्स लगाएं।