विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की लगातार हार ने कांग्रेस की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हार के बाद कांग्रेस ने कार्यसमिति बैठक बुलाई गई। बैठक के दौरान पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने परिवार को पार्टी से अलग करने की पेशकश की जिसका असर ऐसा रहा कि नेताओं ने सोनिया को पार्टी अध्यक्ष के पद को छोड़ने से रोक दिया।
सोनिया का इमोशनल कार्ड कार्यसमिति के उन नेताओं के दांव पर भी फीका पड़ गया जो कांग्रेस मैनेजमेंट को समय-समय पर कठघरे में खड़ा करते रहते हैं। वहीं समिति में शामिल कई नेताओं ने राहुल गांधी को एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने की मांग रखी।
दरअसल, कांग्रेस की मीटिंग लगभग चार घंटे चली जिसमें सोनिया ने कहा कि उनके परिवार के हटने से कांग्रेस मजबूत हो सकती है तो वो अपने बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ने को तैयार हैं। जिसपर गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘हमने आपके नेतृत्व पर कभी सवाल नहीं उठाया बल्कि पार्टी जिस तरह चलाई जा रही है, उस पर चिंता व्यक्त की है।’
कांग्रेस कार्यसमिति ने सर्वसम्मति से श्रीमती सोनिया गांधी जी के नेतृत्व में अपने विश्वास की पुनः पुष्टि की और कांग्रेस अध्यक्षा से अनुरोध किया कि वो आगे बढ़ पार्टी का नेतृत्व और मजबूती से करें और आवश्यक एवं व्यापक बदलाव करें। pic.twitter.com/vXJfxM68Jl
— Congress (@INCIndia) March 13, 2022
बैठक के बारे में बयान जारी कर कहा गया, ‘सीडब्ल्यूसी ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में भरोसा जताते हुए उनसे अध्यक्ष पद पर बने रहने का आग्रह किया। कार्यसमिति ने प्रभावी और अनिवार्य सांगठनिक बदलावों के जरिए कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरियों को दूर करने का आग्रह किया ताकि राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया जा सके।’
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