एक तरफ पूरा देश महिलाओं के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इसी दिन जिलाधिकारी कार्यालय पर न्याय की गुहार लगाने पहुंची महिलायें। जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस कार्यक्रम में इतना व्यस्त रहे कि इनकी कोई फरियाद नही सुनी गई। मामला कुशीनगर जिले का है जहां महिलायें अपनी फरियाद लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची और उनकी फ़रियाद नही सुनी गयी तो ये कैसा सम्मान और कैसा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है।
बतादूँ की जनपद कुशीनगर के जिलाधिकारी कार्यालय पर कुछ महिलाओं ने अपना फरियाद लेकर जिलाधिकारी एस0 राजलिंगम से मिलना चाहा। लेकिन जिलाधिकारी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के आयोजन में लगभग चार घंटे व्यस्त थे और महिलाओं को अपनी फरियाद लेकर गांव वापस जाना पड़ा।
मामला जिले के दो ग्रामसभाओं का है एक ग्रामसभा तहसील पडरौना क्षेत्र के गांव सोहरौना में कुछ गरीबो को उजाड़ कर आपात्रों को सरकारी जमीन पट्टा किया गया है। महिलाओं का कहना है कि मेरे ग्रामसभा में एक तरफ खलिहान की जमीन है व दूसरी तरफ कब्रिस्तान की जमीन है। उसी बीच मेआपात्रो के नाम से जमीन पट्टा किया गया है।
जिसपर तहसील प्रशासन से कार्यवाही की मांग किया गया लेकिन सुनवाई नही हुई। उसी मामले को लेकर महिलाओं ने जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई। लेकिन जिलाधिकारी 4 घंटे कार्यक्रम में व्यस्त थे महिलाओं को अपनी फरियाद लेकर वापस जाना पड़ा। वहीं दूसरा मामला जिले के तहसील खड्डा क्षेत्र के गांव बोधि छपरा का है जिस गांव में ग्राम प्रधान द्वारा तमाम महिलाओं को प्रताडित किया गया।
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आज महिलाएं प्रधान के डर से कोई लिखित शिकायत नही करती। वहीं इस गांव में विकाशकार्यो में तमाम अनिमितता किया गया है। लेकिन लाख शिकायतके बाद भी अबतक न कोई जांच की गयी और न ही कोई कार्यवाही की गयी है वहीं एक पीडित महिला रंजना यादव ने बताया कि ग्राम प्रधान द्वारा हमको कइयो बार प्रताड़ित किया गया है। शिकायत की जाती है लेकिन कोई सुनवाई नही होती है। सरकार बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन तो कर रही है लेकिन इससे कोई फायदा नही है महिलाओं का कोई सम्मान नही किया जाता।