भारत की गिनती दुनिया के सबसे बड़े फ़िल्म बाज़ारों में होती है। बॉलीवुड में हर साल हज़ारों फिल्में बनती हैं जो बजट की लिहाज़ से दक्षिण भारतीय फिल्मों की अपेक्षा ज़्यादा भव्य और बड़ी होती हैं। लेकिन बात करे कंटेंट और क्रिएटिविटी की तो बॉलीवुड दक्षिण भारतीय फिल्मों के सामने कहीं नहीं टिकता।
बॉलीवुड से चार कदम आगे है साउथ फिल्म इंडस्ट्री !
साउथ इंडियन फिल्मों का प्रेजेंटेशन कहानी कहने का तरीका,कैमरा वर्क और तकनीक बॉलीवुड फिल्मों से कइयों कदम आगे है।लेकिन जब भारत की तरफ कोई फिल्म ऑस्कर में भेजना होता है तो ऐसे में बॉलीवुड को ज़्यादा प्रायोरिटी दी जाती है।
यही कारण है की भारतीय सिनेमा को आज तक ऑस्कर का इंतज़ार है।
लेकिन दोस्तों शायद यह इंतज़ार अब ख़त्म होने वाला है। जी हाँ इस बार भारत की तरफ से ऑस्कर का प्रतिधित्व करने के लिए एक दक्षिण भारतीय फिल्म को भेजा गया है। इस फिल्म का नाम है “जल्लिकट्टु ” जल्लिकट्टु एक मलयालम भाषा की फ़िल्म है। इसकी कहानी कई मामलों में यूनिक है। और फ़िल्म में कहानी कहने का तरीका बेहद अलहदा है। फिल्म का डायरेक्शन किया है Lijo Jose Pellissery ने। मुख्य भूमिकायें निभाई है Santhy Balachandran, Antony Varghese, Tinu Pappachan, Sabumon Abdusamad ने।
आइये जानते हैं क्या ख़ास है इस फ़िल्म में और क्यों इस फिल्म से भारत को ऑस्कर मिलने की उम्मीदें बंधी हुयी हैं ?
क्या है फिल्म की कहानी ?
फ़िल्म की शुरुआत केरला के एक छोटे से गाँव से होती है। गाँव में रहने वाले ज़्यादातर लोग माँसाहारी हैं। गाँव के लोगों की दिनचर्या शुरू होती है सुबह उठकर बाजार जाने, माँस ख़रीद कर लाने से और शाम को उसी माँस के बने डिन्नर को खाने तक।
गाँव में मांस की आपूर्ति एक जानवर लाया गया है जो एकदिन अचानक छूट जाता है और जंगल की तरफ भागने लगता है। अब गाँव के लोग उस जानवर को पकड़ने के लिए उसका पीछा करते हैं। तरह तरह की तरकीबें अपनाई जानें लगती हैं। कोई जानवर को गोली मारने का सुझाव देता है तो कोई नुकीले हथियारों के इस्तेमाल की बात करता है।
जानवर को पकड़ने के लिए सारा गाँव दो गुटों में बंट जाता है। पहले गुट के नेता एक नौजवान लड़का है जो गाँव वालों को मीट सप्लाई करता है और गाँव की ही एक लड़की से उसे इश्क़ है। वो नौजवान जानवर को पकड़कर अपनी प्रेमिका व गाँव वालों को इम्प्रेस करना चाहता है। तो वहीं दूसरे गुट का सरदार है एक स्मगलर जिसे उसके बुरे कर्मों की वजह से गाँव से निकाल दिया गया था लेकिन जानवर को पकड़ने के लिए दुबारा उसकी गाँव में एंट्री होती है। अब उसका मकसद है जानवर को पकड़कर उसकी बलि चढ़ाना ऐसा करके वह गाँव वालों को सबक सिखाना चाहता है। कि गाँव वालों ने उसे गाँव से निकालकर सही नहीं किया था।
झकझोर देने वाला क्लाइमेक्स
फ़िल्म अपने अंत में दर्शकों के लिए एक सवाल छोड़ जाती है। कि असली जानवर कौन है ? वो जो अपनी जान बचाने के लिए जंगल की तरफ़ भाग रहा है या वो लोग जो अपने फायदे के लिए जानवर को पकड़ना चाहते हैं।
फिल्म की कहानी बहुत सिंपल है लेकिन इसका प्रेजेंटेशन फ़िल्म की usp है। जब आप फ़िल्म देखना शुरू करते हैं तो कहानी भूलकर निर्देशक द्वारा रची दुनिया में चले जाते हैं।
क्या आपने यह फ़िल्म देखी है ? यदि हाँ तो फिल्म से जुड़ी अपनी राय हमें कमेंट कर के बताएं ? यदि नहीं देखी है तो अमेज़ॉन प्राइम पर जाकर देख सकते हैं।
आपको इस फिल्म में ऑस्कर जीतने की कितनी सम्भावना नज़र आती है ? हमें कमेंट कर के बताएं ?