बिपिन रावत हो रहे रिटायर,जाने कौन होगा अगला सेना प्रमुख

bipin rawat
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लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे भारतीय सेना के नए प्रमुख होंगे। लेफ्टिनेंट जनरल एमएम नरवणे को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ नियुक्त किया गया है। 31 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत रिटायर होने वाले हैं। उन्होंने दलबीर सिंह सुहाग की सेवानिवृत्ति के बाद पद ग्रहण किया था। जिनके बाद सेना प्रमुख की कमान लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे के हाँथ में होगी। वह देश के 28 वे सेना प्रमुख होंगे।

लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे का कमीशन जून 1980 में सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट की 7 वीं बटालियन में हुआ था। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई से रक्षा अध्ययन में मास्टर डिग्री और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर से रक्षा और प्रबंधन में एमफिल की डिग्री हासिल की है। लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे को अपनी 37 वर्षों की सेवा में अत्यधिक सक्रिय आतंकवाद रोधी वातावरण के लिए काम करने का खासा अनुभव है।

आईये जानते हैं थल सेनाध्यक्ष से जुड़ी अहम जानकारियां

आर्मी चीफ को चुनने का अधिकार देश की सरकार के पास होता है। थल सेनाध्यक्ष एक पेशेवर प्रमुख, कमांडर या आमतौर पर कहा जाये तो भारतीय सेना का सर्वोच्च रैंक वाला सैन्य अधिकारी होता है। सेना प्रमुख की नियुक्ति अप्‍वाइंटमेंट्स कमेटी ऑफ द कैबिनेट (एसीसी) के निर्णय से किया जाता है। एसीसी में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री भी शामिल होते हैं। पहले इस पद को कमांडर-इन-चीफ के नाम से जाना जाता था ।

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1955 में भारतीय संसद के कमांडर-इन-चीफ के पद का बदलाव अधिनियम के माध्यम से सेनाध्यक्ष का कार्यालय बनाया गया था। इसने कमांडर-इन-चीफ, सेना के तत्कालीन कार्यालय को बदल दिया। यह कार्यालय नई दिल्ली के रायसीना हिल में केंद्रीय सचिवालय के दक्षिण ब्लॉक में स्थित है।

भारत में कमांडर-इन-चीफ पद की स्थापना 1748 में ईस्ट इंडिया कंपनी के सभी बलों के कमांडर को नामित करने के लिए की गई थी। 1857 के बाद कमांडर-इन-चीफ ब्रिटिश भारतीय सेना के सर्वोच्च कमांडर बन गए। कमांडर-इन-चीफ भारत के वायसराय के कार्यालय के संपर्क में था।

1955 में कमांडर-इन-चीफ का पद समाप्त कर दिया गया और उसकी जगह चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ
( COAS ) को नियुक्त किया गया। चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ का कार्यकाल अधिकतम तीन वर्ष (3 year) का होता है। 60 वर्ष की आयु में कोई चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ बनता है तो उसका कार्यकाल 2 वर्षों का और 61 वर्ष की आयु में बनने पर एक साल का ही कार्यकाल होगा। क्योंकि 62 वर्ष की आयु होने पर कार्यकाल सामाप्त हो जाता है।

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