अयोध्या। एक तरफ जहाँ देश वैश्विक महामारी कोरोना को झेल रहा है। इसी बीच कृष्ण जन्माष्टमी आज है और आज से ही मूर्ति पूजा के त्योहारों की शुरुआत भी हो गई है।प्रशासन ने भीड़ एकत्र करने वाले आयोजन पर प्रतिबंध लगाया है। ऐसे में मंदिरों में श्रद्धालुओं के एकत्र होने की अनुमति नहीं है वही मूर्ति पूजा पर प्रतिबंध के चलते मूर्तिकारों के व्यवसाय पर विपरीत प्रभाव पड़ा है लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं आ रही है। मूर्तिकारों ने अब नया रास्ता निकाल लिया है।वैश्विक महामारी का कहर चारों तरफ है।ऐसे में अब मूर्ति पूजा के त्योहार भी इस संक्रमण के चलते प्रभावित हो रहे हैं. 22 अगस्त से गणेश उत्सव का आयोजन शुरू होना है. लेकिन शासन और प्रशासन ने इस आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया है।आपको बता दें कि अयोध्या में मंदिरों का शहर होने के बावजूद भी यहाँ बड़ी संख्या में अस्थाई मूर्तियों को स्थापित कर पूजा की जाती है. कृष्ण जन्माष्टमी गणेश उत्सव दुर्गा पूजा जैसे प्रमुख त्योहारों पर जनपद के सभी प्रमुख स्थलों पर अस्थाई मूर्तियों की स्थापना की जाती है. स्थानीय गणेश उत्सव, दुर्गा पूजा समितिया इसके लिए पहले से तैयारी करती हैं. गणेश चतुर्थी के आयोजन पर प्रतिबंध लगने के कारण मूर्तियों का आर्डर नहीं हो पा रहा है।
बता दें की हर वर्ष अयोध्या में कोलकाता से 10 से 12 की संख्या में बड़े मूर्तिकार आते थे। देवकाली क्षेत्र में बड़ी संख्या में मूर्तियों का कारोबार किया जाता था लेकिन लाॅकडाउन के चलते कोलकाता से मूर्तिकार नहीं आ सके. वहीं स्थानीय लोग छोटे स्तर पर दो ढाई सौ से 300 मूर्तियां बना कर बेंच देते थे लेकिन उन्हें अब तक मूर्तियों के बनाने का ऑर्डर भी नहीं मिला है. वही लंबे समय से लॉकडाउन और वैश्विक महामारी के चलते उन्हें अन्य व्यवसाय करने का अवसर नहीं प्राप्त हो रहा है जिसके चलते स्थानीय स्तर पर मूर्तिकारों की आर्थिक दशा दयनीय हो गई है. इसके बावजूद भी अयोध्या के मूर्तिकारो ने अपनी हिम्मत नहीं हारी है. उन्हें अब तक महज दो या तीन आर्डर ही मिल पाए हैं. लेकिन भविष्य में घरों के प्रांगण में स्थापित की जाने वाली स्थाई छोटी मूर्तियों की मांग को देखते हुए वे मूर्ति बनाने के कार्य में लगे हुए हैं। अयोध्या की मूर्तिकार राजकुमार कहते हैं कि लंबे समय से कोरोना के चलते प्रतिबंध लगा था. लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि मूर्ति बनाने के कार्य में तेजी आएगी. लेकिन समय और मूर्तियों की मांग में गिरावट को देखते हुए अब मूर्तियों का कारोबार पूरी तरह ठप हो गया है. राजकुमार ने बताया कि वह इस उम्मीद के साथ छोटी मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं कि लोग मूर्तियों को घरों में स्थापित करके गणेश चतुर्थी और नवरात्र पर पूजा पाठ कर सकेंगे. कलाकारो को अभी तक मूर्तियों को बनाने का आर्डर नहीं मिला है लेकिन उम्मीद है कि यह छोटी मूर्तियां हैं और लोग इन्हें घरों में पूजा पाठ के लिए अस्थाई तौर पर स्थापित करेंगे. इससे मूर्ति का व्यवसाय भी चलता रहेगा और आस्था भी पूरी होगी।
रिपोर्ट- बिस्मिल्लाह खान