आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन-चीफ़ अर्नब गोस्वामी सहित अन्य सह-अभियुक्तों की ज़मानत मंजूर कर दी है।
बताते चलें अर्नब गोस्वामी को बीते बुधवार 4 नवंबर को मुंबई में उनके घर से गिरफ़्तार किया गया था.
महाराष्ट्र पुलिस सुबह-सुबह उनके घर पहुंची थी और उन्हें पुलिस वैन में बैठाकर साथ ले गई थी। उनकी गिरफ़्तारी का वीडियो भी काफ़ी वायरल हुआ। एवम विरोध भी देखने को मिला था।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट का अर्नब को ज़मानत न देना बिलकुल ग़लत है।
इससे पहले अर्नब गोस्वामी ने ज़मानत के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। किन्तु ज़मानत न मिलने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले कि सुनवाई के दौरान कहा कि अर्नब गोस्वामी और अन्य दो अभियुक्तों को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम ज़मानत दी जाए.
ग़ौरतलब है कि अर्नब गोस्वामी को 53 साल के एक इंटीरियर डिज़ाइनर ‘अन्वय नाइक ‘ की कथित आत्महत्या के मामले में गिरफ़्तार किया गया था कोर्ट ने पेशी के दौरान उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
इससे पहले मुंबई पुलिस ने 2018 में अर्नब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आईपीसी की धारा 306 के तहत गिरफ़्तार किया था.
रिपब्लिक टीवी के मुताबिक़ ये केस पहले बंद हो चुका था, जिसे जानबूझकर, इरादतन दोबारा खोला गया है।
मई 2018 में कथित तौर पर आत्महत्या से ठीक पहले लिखे एक ख़त में नाइक ने आरोप लगाया था कि अर्नब गोस्वामी ने उनका बकाया भुगतान नहीं किया था.
इस साल सितंबर में महाराष्ट्र विधानसभा में रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भी दाख़िल किया गया था. जिसे विधानसभा ने स्वीकार भी कर लिया था.
इसके बाद कहा जा रहा था कि अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ सदन जल्द ही कार्रवाई शुरू कर सकता है.