भारत का जेम्स बॉन्ड, जिससे पाक भी डरता है

ajeet doval
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जेम्स बॉन्ड जो की एक काल्पनिक किरदार है हॉलीवुड की फिल्मो में,जिसकी मूवी कभी न कभी अपने देखी होगी या जेम्स बॉन्ड का नाम सुना होगा। यह एक ऐसा किरदार है, जो अपनी जान खतरे में डालकर हर नामुमकिन मिशन को मुमकिन कर देता है और उसे किसी भी हाल में पूरा करता है पर क्या आप जानते है, भारत में भी एक रियल लाइफ हीरो है। जिसे भारत का जेम्स बॉन्ड कहा जाता है।

जिसने देश में कई असंभव मिशन को संभव किया और अपनी जान खतरे में डालकर 7 साल तक पाकिस्तान में रहा और भारत को आवश्यक सूचनाएं दी। पाकिस्तान में आज भी उनके नाम की चर्चा होती है और भारत के जेम्स बॉन्ड से पाकिस्तान भी डरता है। हम बात कर रहे है National Security Advisor अजीत डोभाल की। जिन्होंने ऑपरेशन ब्लैक थंडर,मिजो नेशनल फ्रंट,सर्जिकल स्ट्राइक,इराक से 46 भारतीय नर्सों को ISIS के चंगुल से छुड़ाकर लाये व 1999 में इंडियन एयरलाइन्स को भी आतंकियों से छुड़ाया।

अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी 1945 को हुआ था। इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मिलेट्री स्कूल में पूरी की और आगरा विश्विद्यालय से MA किया। ग्रेजुएशन करने के बाद अजीत IPS बनने की तैयारी करने लगे और उनकी कड़ी मेहनत रंग लायी और वो केरल कैडर से 1968 में IPS बने।

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1972 में IB के साथ जुड़कर काम किया। उसी दौरान अजीत डोभाल 7 साल तक ख़ुफ़िया एजेंट बनकर पाकिस्तान में रहे और महत्वपूर्ण जानकारी भारत को दी। 1980 में मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट ने जब केंद्र सरकार की नीतियों से नाराज होकर देश विरोधी गतिविधियां करने लगे तो अजीत डोभाल ने सूझबूझ से संगठन के मुखिया लाल डेंगा को अलग कर दिया और और उससे शांति की अपील करवाई, जिसके बाद मिजो संगठन ने सुलह कर ली और 20 सालों से हो रही अशांति शांत हुई।

स्वर्ण मंदिर

80 के दसक में ही पंजाब के अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर में जरनैल सिंह भिंडरा वाले और उसके समर्थको ने स्वर्ण मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया तो अजीत डोभाल एक रिक्शा वाला बनकर खलिस्तीनियों की जानकारी जुटाने के लिए मंदिर के आसपास घूमने लगे। उन आतंकियों को शक हुआ और उन्होंने अजीत डोभाल को पकड़ लिया और 10 दिन तक पूछताछ की। अजीत डोभाल उन आतंकियों को विश्वास दिलाने में कामयाब रहे की वो ISIS के एजेंट है और उनकी मदत करने आये है। इसके बाद उनको छोड़ दिया गया।

ऑपरेशन ब्लैक थंडर होने के दो दिन पहले दोबारा अजीत डोभाल मंदिर में गए और आतंकियों की संख्या और वास्तविक स्थिति की जानकारी लेकर बाहर आये और जब ऑपरेशन ब्लैक थंडर हुआ तो 45 आतंकी मारे गए व 300 को गिरफ्तार कर लिया गया। इसी तरह कई असंभव मिशन को ने पूरा किया।

कई प्लेन हाईजैक होने से रोके

अजीत डोभाल को 1988 में उनके अद्भुत कार्यों के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। अजीत ने कश्मीर में 1996 में आतंकी संगठनों को तोड़ दिया, जिसकी वजह से चुनाव वहां सफलतापूर्वक हो पाए। इसके बाद 1999 में जब आतंकियों ने Indian Airlines के प्लेन IC 814 को हाईजैक कर प्लेन को अफगानिस्तान ले गए, उस समय विमान में 180 यात्री थे। तब अजीत डोभाल भारत सरकार की तरफ से तालिबान से बात करने अफगानिस्तान गए और सभी यात्रियों को सुरक्षित छुड़ाया। एक रिपोर्ट के अनुसार अजीत डोभाल ने 1971 से 1999 के बीच 14 से ज्यादा Indian Airlines के अपहरण को रोका था।

यही नहीं अजीत डोभाल ने दाऊद इब्राहिम को भी मारने का प्लान उसके एक साथी को विश्वास में लेकर बनाया था और मिशन पूरा होने वाला ही था की पुलिस ने दाऊद के उस साथी को पकड़ लिया और दाऊद अजीत डोभाल के चुंगल से बच गया। 2004 में ये IB के डायरेक्टर बने पर किसी कारणवश 2005 में इन्होने इस्तीफा दे दिया। तब UPA की सरकार थी। NSA बनने से पहले अजीत ने विवेकानंद फाउंडेशन की शुरुआत की जिसमे पूर्व जासूस और डिप्लोमेट्स शामिल थे। इसको थिंक टैंक ग्रुप के नाम से भी जाना जाता है।

NSA बने 

2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आयी तो उन्होंने अजीत डोभाल को 30 मई 2014 को NSA (National Security Advisor) बना दिया। इसके बाद अजीत फिर एक्शन में आ गए और जब जून 2014 में 46 भारतीय नर्सें इराक में एक अस्पताल में ISIS के चंगुल में फंसी हुई थी तो उनको छुड़ाने के लिए अजीत 25 जून 2014 को इराक गए और वहां की सरकार से बात की व सभी नर्सों को अरबिल शहर में आतंकियों ने छोड़ दिया। ये मिशन भी अजीत की वजह से सफल रहा था।

मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों ने भारतीय सेना के काफिले पर 4 जून 2015 को हमला किया, जिसमे 18 भारतीय सैनिक मारे गए। शहीद सैनिकों का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन हॉट पैरासूट को शुरू किया और स्पेशल कमांडो म्यांमार सीमा के अंदर दाखिल हुए व 38 उग्रवादियों को मार दिया। ये पूरा ऑपरेशन सिर्फ 40 मिनट का था। इस ऑपरेशन को भी अजीत डोवाल ने सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह के साथ मिलकर योजना बनाई थी और योजना सफल रही।

उरी और पुलवामा हमले का बदला

जब आतंकियों ने उरी में हमला किया, जिसमे भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे तो इस हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की और पाकिस्तान को सबक सिखाया। सर्जिकल स्ट्राइक का मास्टरमाइंड अजीत डोभाल को कहा जाता है। इसके बाद पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए जब भारतीय सेना ने बालाकोट में आतंकी कैम्पो को एयर स्ट्राइक कर उड़ा दिया, जिसमे लगभग 300 आतंकी मारे गए थे।

इस एयर स्ट्राइक की भी योजना अजीत डोवाल ने बनाई थी। यही नहीं विंग कमांडर अभिनन्दन को भी पाकिस्तान से भारत वापस लाने का श्रेय अजीत को जाता है। इसके बाद जब मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई तो स्थानीय लोगों के बीच अजीत डोवाल गए और वहां शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए कार्य किया।

इतने अद्भुत और अविश्वसनीय कार्यों को करने के लिए पुलिस मेडल अवार्ड, प्रेसिडेंट पुलिस मेडल और भी कई मेडल अजीत को उनके कार्यों के लिए दिए गए है। देश की सुरक्षा जब ऐसे सख्स के हाथों में हो तो देश तो सुरक्षित होगा ही। भविष्य में अगर उनको भारत रत्न दिया जाये तो भी आश्चर्य नहीं होगा।

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