रजनीश दूबे की प्रेस वार्ता, बीआरडी कॉलेज में 2017 में हुई मौत के मामले में कार्रवाई

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 और 11 अगस्त 2017 को लिक्विड ऑक्सीजन खत्म होने से 48 घंटे में 34 बच्चों और 18 वयस्कों की कथित तौर पर मौत हो गई थी। हालांकि प्रशासन ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की बात से इनकार करती रही है। एफआईआर में डॉ. कफ़ील को 100 बेड एईएस वार्ड का प्रभारी बताते हुए आरोप लगाया गया था कि ऑक्सीजन की कमी के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान में नहीं लाया गया।

सरकारी ड्यूटी का नजरअंदाज करते हुए उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत न होने के बावजूद भी अपनी पत्नी शबिस्ता ख़ान द्वारा संचालित नर्सिंग होम में अनुचित लाभ हेतु अपने नाम से बोर्ड लगाकर प्रेक्टिस किया गया। इसके अलावा उनके द्वारा मरीजों के इलाज में अपेक्षित सावधानी नहीं बरती गई, जीवन बचाने का प्रयास नहीं किया गया और डिजिटल माध्यम से धोखा देने के इरादे से गलत तथ्यों को संचार माध्यम में प्रसारित किया था।

इसी मामले पर भी एक बार सुनवाई हुई है। जिनमे तीन अधिकारी दोषियों नाम सामने आये थे। जिनमे राजीव मिश्रा,डॉक्टर सतीश कुमार, और प्रवक्ता कफील खान इन सभी अधिकारियो को निलंबित किया गया था। लेकिन इसके बावजूद भी अभी विभागीय कार्रवाई शासन स्तर पर विचाराधीन है। कफील खान ने स्वरचित वीडियो को सोशल मीडिया और मीडिया पर चलवाया गया। प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई शुरू हुई थी। इनमे जो भी आरोप लगाए गए थे। मसलन सरकारी सेवा में रहते हुए निजी प्रैक्टिस की जा रही थी। डॉक्टर कफील पर लागए गए 4 आरोप में दो सही पाए गए

डॉ कफील को गोरखपुर बीआरडी ऑक्सीजन ट्रेजेडी मामले में विभाग से मिली क्लीनचिट

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा बताया गया कि बहराइच में जबरन घुसकर डॉक्टर कफील ने मरीजो का इलाज करना शुरू किया गया था। इस मामले में एफआईआर भी की गई थी।

इस मामले पर सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार किया गया है। नियमावली के तहत कफील पर विभागीय जांच शुरू की गई है। विभागीय जांच में खुद को क्लीन चिट देने जैसी भ्रामक खबर चलवाई। जिनमें दो विभागों की कार्यवाही की गई है। उनमें सात आरोप है। जिसमे भ्रष्टाचार के अलावा और भी आरोप है। लेटर में दो आरोपियों से बात कही गई। जिसमें वो दोषी नही पाए गए। 5 अन्य आरोपो की जांच जारी है।

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