विजय दिवस: जब भारतीय सेना के सामने पाक के 90 हजार सैनिको ने टेके थे घुटने

1971 war

ऐसे तो आप ने भारतीय सैनिकों की वीरता की कई कहानिया सुनी होंगी लेकिन उनमे सबसे यादगार है 16 दिसम्बर जब पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिको ने भारतीय सेना के सामने किया था आत्मसमर्पण। जी हाँ वही 16 दिसम्बर जिस दिन दुनिया के नक़्शे पर एक नए देश ने अपने आप को स्थापित किया ।
आखिर क्यों हुआ था 1971 का युद्ध,चलिए हम आपको बताते हैं।

भारत से अलग होकर पकिस्तान के दो हिस्से हुए पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पकिस्तान । पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली लोगों की सख्या अधिक थी। पूर्वी हिस्से के शीर्ष नेताओं के मन में भाषा व सांस्कृतिक मुद्दों तथा शक्तियों व सुविधाओं के बंटवारे व आर्थिक समानता के विषय को लेकर गंभीर प्रश्न उठ रहे थे। बटवारे के समय दोनों हिस्से को सामान राजनीतिक शक्ति प्राप्त थी। लेकिन ये हमेशा के लिए नहीं था। कुछ समय के बाद कई राजनीतिज्ञों के मन में ये ख्याल आने लगा की पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रीय परम्पराओं व संस्कृतीयो को खत्म कर के पाकिस्तान को एक राष्ट्रीय संस्कृति के तरफ ले जाया जाये।

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जिसके फलस्वरूप दोनों भागों को “एक प्रशासनिक इकाई” के रूप स्थपित करने के प्रयास किये जाने लगे। जिसका नतीजा ये हुआ की पकिस्तान के कई प्रांतों एवं कबीलाई इलाकों को मिलाकर महज दो प्रांतों में विभाजित करके एक राज्य बनाया गया। 1954  तक पूर्वी पाकिस्तान एक स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई के तहत चलता रहा जिसका नेतृत्व पाकिस्तान मुस्लिम लीग के नूरुल आमीन कर रहे थे।

1954 में हए आम चुनाव में पाकिस्तान मुस्लिम लीग को आवामी लीग के हाथों क़रारी शिकस्त मिली आवामी लीग ने हुसैन शहीद सुहरावर्दी को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया और पूर्वी पाकिस्तान की प्रशासनिक बाग़-डोर अपने हाथ में रखी। सन 1965के राष्ट्रपति चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान ने अयूब खान के विरोध में मतदान किया और फ़ातिमा जिन्नाह के पक्ष वोट डाले हालंकि इन चुनावों अयूब खान के खिलाफ धांधली के आरोप लगे यहीं से पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच आर्थिक असमानता और अधिपत्य को लेकर बंगाली राष्ट्रवाद की भावना ने जन्म लिया।

इसबीच आवामी लीग ने 1966 से लेकर 1970 तक अपना आंदोलन जारी रखा और आवामी लीग इसी मुद्दे को लेकर 1970 के चुनाव में पुरज़ोर प्रदर्शन किया और पूर्वी पाकिस्तान में स्पष्ट बहुमत प्राप्त कि तथा इस चुनाव में आवामी लीग ने पाकिस्तान की संसद में भी स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया, लेकिन पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने आवामी लीग के जनादेश को मानने से इनकार कर दिया, और आवामी लीग के सरकार बनाने का विरोध किया। उस समय पकिस्तान की बाग-डोर सैन्य राष्ट्रपति याह्या खान के हांथों में थी।

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पश्चिमी पाकिस्तान के इस तानाशाही रवैये से पूर्वी पाकिस्तान के लोगों में असंतोश फ़ैल गया और सरकार के खिलाफ भीषण विद्रोह और विरोध प्रदर्शन होने लगे। पाकिस्तानी राष्ट्रपति याह्या खान ने ऑपरेशन सर्चलाईट नाम से, पूर्वी पाकिस्तान में सैन्य कार्रवाई के आदेश दे दिए। इसके जवाब में आवामी लीग नेता शेख मुजीबुर्रहमान ने 26 मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी और एक मुक्ति युद्ध की घोषणा कर दी।

पाकिस्तानी सेना ने बंगाली नागरिकों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया, व्यापक नरसंहार हुआ। जिसमें खासकर निशाना बने अल्पसंख्य्क हिन्दू समुदाय के लोग। इसके परिणामस्वरूप यहां के नागरिकों ने पड़ोसी देश भारत के पूर्वी क्षेत्र असम, त्रिपुरा एवं पश्चिम बंगाल में शरण लेना शुरू कर दिया। भारत के शरणार्थी शिविरों में लाखों की तादात में लोग इकठा हो गए। पूर्वी पाकिस्तानी शरणार्थी जनसमूह द्वारा भारत में घुस ने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर असहनीय भार पड़ा।

भारत ने इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाना शुरू किया। भारतीय विदेश मंत्री स्वरण सिंह के विभिन्न देशों के विदेश मंत्रियों से भेंट करने के बावजूद भी कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला। तब जाकर तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री इन्दिरा गाँधी ने 27 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान के मुक्ति संघर्ष के लिये अपनी सरकार के पूर्ण समर्थन देने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा लाखों शरणार्थियों को भारत में शरण देने से कहीं बेहतर है कि पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से लोगों को बचाया जाये और इस संघर्ष को विराम दिया जाए।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने भारतीय सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ से विचार विमर्ष किया और इस बारे में उनकी राय मांगी। सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ ने तुरंत कोई भी कार्यवाही करने से इंकार कर दिया और तैयारी के लिए समय माँगा जिस पर प्रधानमंत्री राजी हो गयी। इस बीच सोवियत संघ ने पाकिस्तान को चेतावनी भी दी परन्तु पकिस्तान ने इसे अपनी एकता और अखण्डता के खिलाफ माना और 23 नवम्बर को पाकिस्तानी राष्ट्रपति याह्या खान ने पूरे पाकिस्तान में आपातकाल कि घोषणा कर दी और अपनी सेना को पश्चिमी सीमा पर तैनात कर दिया।

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पाकिस्तान वायुसेना ने 3 दिसम्बर की शाम लगभग 5:40 बजे भारत के 11 वायुसेना बेसेज़ पर अप्रत्याशित हमले कर दिए। इस हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने आल इण्डिया रेडिओ पर देश वासियों को पाकिस्तानी हवाई हमले की सूचना दी और पाकिस्तान के साथ भारत के युद्ध कि आधिकारिक घोषणा की।

इसके साथ ही 1971 के भारत-पाक युद्ध की शुरुआत हुई। 13 दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने हर मोर्चे पर पाकिस्तान को कमजोर किया। पकिस्तान की करारी हार हुयी और 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना के 93 हजार सैनिको ने पाकिस्तानी जनरल एके नियाजी के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध ने विश्व मानचित्र का नख्सा बदल दिया और एक नये देश का जन्म हुआ , बांग्लादेश अस्तित्व में आया।

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